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सहायक! चलना होगा

 

सपने अगर बड़े हैं तेरे 
देर तलक जगना होगा 
दूर कहीं तय की हो मंज़िल 
बहुत देर चलना होगा॥
 
मनुज के होने की शपथ गर
दृढ़ता से ली गयी होगी
तुम्हारे क़दम पीछे नहीं हटेंगे
उन्हें बढ़ना होगा
 
गिरें सौ बार राहों में 
मशाले बुझती भी रहें 
तुम्हें हर हाल में 
सहायक! चलना होगा 
 
गर राह में लड़कर 
मिली हो जीत, मृत्यु से
ठहरकर एक पल भी मृत्यु से
ना डरना होगा
तुम्हें हर हाल में 
सहायक! चलना होगा 
 
बहुत हैं राह में धोखे 
ना उनकी आस में पड़ना
तुम्हारे चक्षु रंगों के ना मायाजाल फसाना
तुम्हें हर हाल में 
सहायक! चलना होगा
 
शिखर पर चाँदनी को विराजे
मिले सुमेरु राहों में 
सुमिरते लक्ष्य मन में
उसे लाँघना होगा
तुम्हें हर हाल में 
सहायक! चलना होगा
 
जीवन के कुरुक्षेत्र में 
जिता वही जो सत्य—दृढ़ रहा 
जिसने ना अपने धनु धरे
जिसने ना समझौता किया
जीवन विजय की राह में
कन्हैया सा सारथी लिया
तुम्हें भी सहायक उन्हीं से 
सीखना होगा
तुम्हें हर हाल में 
सहायक! चलना होगा 
 
उठकर, हर रोज़ सूरज से 
आगे निकल जाने का हुनर
गर कर सको पैदा 
मिलेगी अप्रतिम प्रस्तुति 
साध्य जीवन का
बस तुम्हें हर हाल में 
सहायक! चलना होगा 
सहायक! चलना होगा। 

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