पितृगण विशेष
काव्य साहित्य | कविता डॉ. नीलिमा रंजन1 Oct 2021 (अंक: 190, प्रथम, 2021 में प्रकाशित)
हे पितृगण विशेष,
नमन है आपकी दिव्यज्योति,
आभा मण्डल को,
करते हैं तर्पण आपके प्रभा मण्डल का,
हृदय के कंपन से
श्वासों से,
यह जीवन आपका प्रदत्त
आपको अर्पण
हे विष्णुलोक के स्थानिक सभासद,
आप ही पित्राधिष्ठातृ देव।
हे देवाधिदेव महादेव
हे पितृमान सियापति राम
करो मार्गदर्शन
शरणागत हम अकिंचन,
अल्पबुद्धि, त्रुटियाँ करते पुन: पुन:।
आप ही सहाय
पाना है आशीष पितरों का,
ब्रह्माण्ड हेतु, प्रकृति हेतु,
मानव हेतु, स्वयं हेतु
और करना है प्रभामण्डलीय तर्पण।
प्रार्थना करते हैं
दक्षसुता स्वाहा-स्वधा से
यज्ञ भार्या स्वाहा-स्वधा से
हे स्वाहा, विनती है
पहुँचाओ आहुति देवताओं तक,
हे स्वधा, आग्रह है
आहुति वाहक बनो पितरों तक
और ओतप्रोत करो आशीष से।
पितामह भीष्म सह ज्ञात-अज्ञात पितृ
बारंबार नमन,
जहाँ हो वहाँ से स्वीकारो तर्पण
उर्जित, आप्लावित हो
सद्गति, शांति से
हम दे सकते हैं भावमय श्रद्धा,
प्रक्षेपित करते हैं
तुमसे प्राप्त ऊर्जा तुमको ही,
ग्रहण करो हे पितृगण,
दो कुल को आशीष,
वरदान,
धन समृद्धि का, स्वास्थ्य का
शांति का, उपलब्धि का ।
हे परब्रह्म
तुम्हारे अंश हैं हम भी
ऊर्जा दो, आशीष दो प्रभु।
और अंकित करो
तृप्त, प्रसन्न की विहंसती मूर्ति
हमारे हृदय में। तथास्तु!!!
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