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यहाँ से सफ़र अकेले होगा

 

जीवन की इस अंतहीन यात्रा में
खोई हुई पगडंडी में 
जीवन के आँधी-अंधड़ सब आयेंगे
इस बिखरे सूने उपवन में
विकराल यथार्थ का धरातल
बहुत खुरदुरा, भयानक होगा
मगर, यहाँ से सफ़र अकेले होगा
 
मैं न रहूँगा जब पाँव के छाले
मन तक को तुम्हारे चीरेंगे
कोई दवा या सांत्वना ही मेरी 
तब साथ तुम्हारे शायद होगी, 
मगर बेअसर हो गयी तो क्या
तुमको उस जीवन की दावानल
तिल-तिल जलना और बचना होगा, 
यहाँ से सफ़र अकेले होगा
 
कोई संधान तुमने किये ही होंगे 
लेकर अपने अतीत से लेकर कोई सीख 
वो भीषण जीवन जो तुमने जिया
कुछ तीर तुणीर में तो होंगे ही
 उनके ही बूते पर तुमको, 
ख़ुद से जग से लड़ना होगा
यहाँ से सफ़र अकेले होगा
  
मैं न रहूँगा जब पाँव के छाले 
मन तक को तुम्हारे चीरेंगे 
जब युद्ध युद्ध और सिर्फ़ युद्ध 
जीवन की तुम्हारे परिणीति होगी 
जीतोगे या हारोगे, फ़र्क़ नहीं 
जीवन के समर में तब मीते 
बस हासिल तुम्हें चीखें होंगी, 
वो चीख अपनी हो या पराई 
उस चीख पर भी बिलख कर रोओगे 
तब यही सम्वेदना मेरी साथी 
एक सम्बल बन कर उभरेगी 
लेकिन ये सब जब होगा तब होगा 
मगर यहाँ से सफ़र अकेले होगा!

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