जय हनुमंत
काव्य साहित्य | कविता दिलीप कुमार15 Nov 2023 (अंक: 241, द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)
जय हनुमंत दीन हितकारी
जय हनुमंत दीन हितकारी,
सुन लीजै प्रभु विनती हमारी।
विपदा की प्रभु आई है घड़ी,
मुझको मुसीबत है घेरे खड़ी,
धन, बल, साहस हुआ है क्षीण,
किसी विधा में न रहा प्रवीण,
घेरे हैं सब दुख बारी-बारी,
जय हनुमंत दीन हितकारी।
कब से शरणागत हूँ प्रभु मैं,
तुम्हारे समक्ष नतमस्तक हूँ मैं,
कोई न है राह दिखाने वाला,
मैं हूँ प्रभुसेवक भोला-भाला,
केंहुँ विधि स्तुति करौं तुम्हारी,
जय हनुमंत दीन हितकारी।
हे प्रभु अब रक्षा करो हमारी,
हम पर विपदा आई है भारी,
मोहे जग में सब बैरी लागें,
संकट न मेरे पास से भागें,
भाग्य चक्र अब बदलो हमारी,
जय हनुमंत दीन हितकार।
प्रभु मन में मेरे सदा हैं बसते,
व्याकुलता अपनी और किससे कहते,
मोहे उबारो अब जय-जय बजरंगी
रामभक्त अब तुम्हींं हो मेरे संगी,
कृपा हम पे कब होगी तुम्हारी,
जय हनुमंत दीन हितकारी।
बुद्धि-शुद्धि प्रभु अब मेरी कर दो,
पथ मेरा ज्ञान से आलोकित कर दो,
धन-बल सबके तुम्हीं हो स्वामी,
सुन लो प्रार्थना हमारी हे अंतर्यामी,
जीवन नैया न हो डगमग हमारी,
जय हनुमंत दीन हितकारी।
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