मेहँदी लगा कर रखना
हास्य-व्यंग्य | हास्य-व्यंग्य आलेख-कहानी दिलीप कुमार15 Apr 2020 (अंक: 154, द्वितीय, 2020 में प्रकाशित)
"मैं इसे शोहरत कहूँ, या अपनी रुस्वाई कहूँ,
मुझसे पहले उस गली में, मेरे अफ़साने गये"
अपनी तारीफ़ सुनने से वंचित और और अति व्यस्त रहने वाली नये वाले लिटरेचर विधा की मशहूर भौजी ने ख़ाली बैठे बैठे उकताकर अपनी पुरानी, विधाबदलू ननदी को फोन लगाया, भौजी का फोन देखकर ननद रानी भाव विह्वल हो गईं मगर वो झाड़ू लगा रही थीं इसलिये उन्होंने फोन काट दिया। ननद रॉनी का प्रेम हिलोरें मार रहा था सो उन्होंने भौजी को वीडियो कॉल कर दिया। भौजी बड़ी आसमजंस में पड़ गईं, अजीब धर्मसंकट था, फोन ना उठायें तो ननदी रिसाय जाय और फोन उठा लेवें तो बहुत कुछ जग जाहिर हो जाय, “ ऊधो मन ना भये दस बीस", सो उन्होंने फोन उठा लिया। भौजी का चेहरा देखकर ननदी हैरान रह गयी। चेहरे पर झुर्रियाँ, झांइयाँ, बालों की डाई उतर चुकी है, खिचड़ी सफ़ेदी दिख रही है, सर पर थोड़े से मगर उलझे से बाल थे, ननदी हैरान रह गयी कि ये वही भौजी हैं जिनकी दमक की धमक बनी रहती थी। लोग उन्हें इक्कीस तोपों की सलामी जैसा रुतबा देते थे, लेकिन इक्कीस दिनों के लाकडाउन में शुरुआती कुछ दिनों में ही उनकी इस तरह की दुर्गति होने का अन्देशा उन्हें हर्गिज़ न था। ननदी ने तुरंत अपना वीडियो इस प्रकार सेट कर लिया कि वो ही भौजी को देख सकें, भौजी उनको नहीं।
भौजी ने पूछा - "आप दिख नहीं रही हैं ननद रानी।"
“वीडियो क्वालिटी ख़राब है भौजीख," ननदी के मुँह से ये सुनते ही, भौजी का धर्मसंकट दूर हो गया। उन्होंने तुरंत फोन काट दिया और चैन की साँस ली कि चलो इस मुसीबत से छुटकारा मिला वरना कहीं ये मेरी नौ वर्ष पुरानी प्रोफ़ाइल पिक्चर के सापेक्ष ऐसी कोई फोटो इसने लीक कर दी तो क्या होगा? उन्हें बेचैनी भी हुई और फ़िक्र भी, ईर्ष्या तू न गयी मेरे मन से।
भौजी तुरंत नहा-धोकर तैयार होकर बहू के कमरे में घुस गयीं। बहू मोबाइल पर वेब सीरीज़ देख रही थी, पीछे से सास ने देख लिया कि बहू कौन सी वेब सीरीज़ देख रही है। बहू ने जब ये जाना कि सास ने देख लिया है कि वो क्या देख रही है तो शर्म से लाल हो गयी। भौजी ने बहू से कहा- “ये समय तुम्हारे शर्म से लाल होने का नहीं है, बल्कि मेकअप से मुझे लाल कर देने का है। कौन सी वेब सीरीज़ है मुझे भी लिंक भेज देना।”
"आप वेब सीरीज़ देखेंगी मम्मी जी, ये तो यंग लोगों का ही कंटेंट है," ये कहते हुए बहू होंठ दबाकर हँसी।
बहू का मन्तव्य समझते ही वो भी शरमा गयीं और क्रोधित भी हुईं। लेकिन अभी चूँकि बहू से मेकअप कराना था और उसके ही सौंदर्य प्रसाधनों से, इसलिये उन्होंने क्रोध पर शर्म का लबादा ओढ़ा कर बोलीं - “यू नट्टी!"और ज़बरदस्ती हँस पड़ीं।
बहू ने फिर कुटिल मुस्कान बिखेरी और कहा - "नट्टी नहीं मम्मी जी, नॉटी, जब तक आप इंग्लिश स्पीकिंग क्लासेज़ नहीं ज्वाइन कर लेतीं तब तक इंग्लिश बोलना अवॉयड कीजिये मम्मी जी।”
भौजी इस व्यंग्य बाण से जल भुन कर स्वाहा हो गयीं। कोई और दिन होता तो वो इस अपमान का बदला ज़रूर लेतीं। उनके लिये ये बात नाकाक़ाबिले बर्दाश्त थी कि उन्हें कोई सिखाये। उनके सिखाये पट्ठे-पट्ठियों ने चतुर्दिक रायता फैला रखा है। किसी की मजाल नहीं जो उन पर ऊँगली उठाये और ये छोकरी उनको सिखाएगी। लेकिन पहले उन्हें ननदी को सबक़ सिखाना था सो उन्होंने इस छोटी बात को हज़्म करते हुए कहा - "सुन मुझे एक अर्जेन्ट वीडियो कॉल करना है, तू मेरा मेकअप कर दे, कोई चरक-वरक की गयी साड़ी तेरी रखी है क्या? और शाम को सात बजे मेरा लाइव साहित्य सम्मेलन है उसमें पहनूँगी, तब तक मेकअप टिका रहेगा ना।”
"ना मम्मी जी मेरी तो सारी साड़ियाँ लांड्री में हैं। सिर्फ़ विवाह वाली साड़ी घर पे है; उसे पहनकर ही मुझे साड़ी में फोटो अपलोड करनी है, अरे हाँ याद आया एक गहरे नीले रंग की है, लेकिन आपकी तो कलर डाई उतर चुकी है, थोड़ा अजीब लगेगा कलर कोम्बिनेशन," बहू ने जवाब दिया।
"तेरे पास डाई, कलर कुछ है तो रँग दे मेरे बाल?"
भौजी ने चहकते हुए कहा - “था ना मम्मी जी, मगर ससुर जी पहले हफ़्ते भर में मूँछें और कनपटी के बाल रँगते थे, अब तीन दिन पर रँगते हैं। आपको तो पता ही नहीं ससुर जी स्टार मेकर पर रोज़ ड्यूट गाते हैं और टिक टॉक पर वीडियो बनाकर अपलोड करते रहते हैं। इसलिये सारी डाई, कलर सब वही यूज़ कर लेते हैं। चिन्टू कह रहा था मम्मी जी कि ससुर जी अब तो काजल से ही बालों को काला कर देते हैं ड्यूट गाने से पहले। तो पहले डाई लगा लीजिये, फिर मैं आपको रेडी कर दूँगी,"बहू ने नया शगूफ़ा छोड़ा।
भौजी अपने पति के बारे में सुनकर नाराज़ तो बहुत हुईं, लेकिन उनसे झगड़कर उन्हें नाराज़ नहीं करना चाहती थीं भौजी। सो उन्होंने अपने पतिदेव को बाद में सबक़ सिखाने के लिये दिल पर पत्थर रखा और उनसे जाकर हेयर कलर लाने को कहा। भौजी ने महिला सिपाहियों द्वारा महिलाओं की पिटाई के इतने वीडियो देखे थे कि उनकी हिम्मत नहीं पड़ी। और किसी तरह अपने पति देव को तैयार किया कि वो हेयर कलर ले आएँ ताकि वो भी वीडियो काल करके पहले ननद रानी की खबर ले सकें; और फिर रात का साहित्यिक सम्मेलन भी उनको सम्भालना है। भैया भी जान चुके थे कि भौजी उनके स्टार मेकर के ड्यूट और टिक टॉक के लिये की जाने वाली तैयारियों को जान चुकी थीं। सो घर में होने वाले संभावित ख़तरे को टालने के लिये उन्होंने बाहर जाने का ख़तरा उठाना ज़्यादा उचित समझा। वैसे भी गुटखा, पुड़िया के बिना उनका जीवन सूना-सूना था। सुबह तम्बाकू की पिनक नहीं चढ़ती थी तो उनका प्रेशर नहीं बनता था। जब उनकी सुबह ख़राब हो जाती थी तो वो दूसरों का पूरा दिन ख़राब कर दिया करते थे घर के सीमित वातावरण में। फिर उनकी फोटो भी उतनी अच्छी नहीं आ पाती थी, सो उन्होंने अपनी ब्रांड के तम्बाकू को लाने का निश्चय किया। वरना स्टार मेकर के ड्यूट में उनकी बनती बात बिगड़ जायेगी। घर से चलने से पहले उन्होंने ग़ालिब का शेर दुहराया -
"ये इश्क़ नहीं आसां, बस इतना समझ लीजे
इक आग का दरिया है, इसमें डूब के जाना है"
सो वो ख़ुद को तसल्ली देते हुए तथा स्टार मेकर और टिक टॉक के हसीन ख़्वाब बुनते हुए परचून की दुकान पर पहुँच गए।सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए एक घण्टे के इंतज़ार के बाद उनका नंबर आया। उन्होंने अपनी लिस्ट बढ़ायी तो दुकानदार ने कहा, "आज का नियम है कि एक आदमी को एक ही सामान मिलेगा।" भौजी के भैया ने बहुत कहा मगर दुकानदार न माना। हारकर उन्होंने भौजी के हेयर कलर के बजाय अपनी तम्बाकू को तरजीह दी ताकि उनके शरीर के अन्दर की दुनिया और उनकी बाहर की दुनिया नॉर्मल हो सके। उन्होंने बहाने सोच लिए थे कि वो भौजी को क्या बहाने बताएँगे हेयर कलर ना ला पाने के। लॉक डाउन में छूट की अवधि पूरी हो चुकी थी, उनका ध्यान समय पर नहीं था। मास्क लगाये स्टार मेकर के डुएट की प्रैक्टिस करते जा रहे थे। पुलिस ने उन्हें रोका, उनके झोले की तलाशी ली, तम्बाकू के ढेर सारे पैकेट पाकर वो भी लॉक डाउन की निर्धारित छूट की अवधि के बाद -
"नाम अनाम अनन्त रहत है, दूजा तत्त न होई,
कहत कबीर सुनो भई साधो, भटक मरो न कोई"
इतनी बात पुलिस के लिये काफ़ी थी, फिर इन्होंने अपने सीनियर होने का रौब भी गाँठा, बिना मास्क उतारे। पुलिस ने भौजी के पतिदेव की अच्छे से ठोंकायी की, तम्बाकू के लिये नियम तोड़ कर घूमने के सबब। उधर भौजी अपनी सात बजे की ऑन लाइन सम्मेलन की तैयारियों में व्यस्त हैं, इधर उन्हें ज़बरदस्ती बाज़ार भेजे जाने से पिटकर आहत हुए भैया बहुत खूंखार होकर घर की तरफ दौड़ पड़े हैं। नेपथ्य में कहीं गाना बज रहा है, "मेहँदी लगा कर रखना!"
ख़ुदा या ख़ैर…!
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