ग़म-ए-रोज़गार
हास्य-व्यंग्य | हास्य-व्यंग्य आलेख-कहानी दिलीप कुमार1 Jul 2025 (अंक: 280, प्रथम, 2025 में प्रकाशित)
“दुनिया ने तेरी याद से बेगाना कर दिया,
तुझसे भी दिल-फ़रेब हैं ग़म रोज़गार के”
तो साहिबान, भले ही पुराने ज़माने में लड़ाइयाँ तख़्तोताज के लिये हुआ करती थीं, बाद के दौर में लड़ाइयों को ज़र, जोरू, ज़मीन के इर्द-गिर्द परिभाषित करने की कोशिश की गई। लेकिन अब बदलते दौर में भले ही लड़के-लड़की की शिक्षा का पैटर्न एक जैसा हो गया हो मगर आज भी लड़कों के जीवन की सबसे बड़ी समस्या रोज़गार ही है। भारत के हर घर में लड़का माँ-बाप के यही ताने सुनते हुए जवान होता है कि “कुछ पढ़-लिख ले, नहीं तो कौन तुझे नौकरी देगा। और अगर नौकरी नहीं मिली तो कौन तुझसे अपनी लड़की ब्याहेगा।”
लब्बोलुबाब यह हुआ कि भारत में युवकों की सारी ख़ुशियों की चाबी एक अदद नौकरी में छिपी होती है। ऐसे ही माँ-बाप के तानों को सुनकर बड़ा हुआ एक युवक नौकरी की तलाश में इंटरव्यू के लिये गया। चूँकि युवक उच्च शिक्षा प्राप्त था इसलिये ख़ुद को ‘लाखों में एक’ समझता था। सो बहुत आत्मविश्वास से एक बहुत बड़ी प्राइवेट कंपनी में इंटरव्यू देने पहुँचा।
सामने बैठे इंटरव्यू लेने वाले एचआर ने उससे पूछा:
आपने इस जॉब के लिये क्यों एप्लाई किया?
युवक:
मैंने और भी नौकरियों के लिये एप्लाई किया है। तो साथ में इस जॉब के लिये भी कर दिया। एप्लाई करने के बाद आपने इंटरव्यू के लिये बुला लिया तो मैं आ गया। सो सिंपल।
एचआर:
आप इस कम्पनी के लिये क्यों काम करना चाहते हैं?
युवक:
मुझे जहाँ कहीं भी जॉब मिले वहाँ तो जॉब करना ही है किसी न किसी कम्पनी में। जॉब मिलते ही मेरे सारे काम बन जाएँगे। पूरी लाइफ़ सेट हो जाएगी। मुझे मतलब जॉब से है फिर वह चाहे इस कम्पनी में हो या किसी और कम्पनी में। मेरे लिये जॉब मैटर करता है कोई ख़ास कम्पनी नहीं।
एचआर:
आप ये बताएँ कि मुझे ये नौकरी आपको ही क्यों देनी चाहिए?
युवक:
वेरी सिम्पल, यह नौकरी आपको किसी न किसी को तो देनी ही है। फिर मुझे ही दे दें। इसमें आपको कोई प्रॉब्लम नहीं होनी चाहिये!
एचआर को यह उत्तर थोड़ा अटपटा लगा कि यह युवक नौकरी के लिये बहुत ज़रूरतमंद भी है और नौकरी देने वाले को हल्के में ले रहा है। जबकि इसे तो झूठ बोलकर बड़े-बड़े दावे करते हुए एचआर से रिक्वेस्ट करके नौकरी माँगनी चाहिये। एचआर ने सोचा कि इस युवक के विचारों और इरादों की थोड़ी और थाह ली जाए।
एचआर:
आप कम्पनी में किस प्रकार से काम करेंगे, कैसी परफ़ॉर्मेंस करने का इरादा रखते हैं आप?
युवक:
अब जिस दिन जैसा मूड, मौसम और माइंडसेट होगा उसी हिसाब से मैं परफ़ॉर्म करने का इरादा करूँगा।
एचआर:
आप जानते हैं कि आपकी सबसे बड़ी स्ट्रेंथ क्या है?
युवक:
हाँ क्यों नहीं जानता अपनी स्ट्रेंथ। मैं जॉब के लिये एप्लाई कर ही देता हूँ कम्पनी चाहे ब्लू चिप हो या दिवालिया हो जाने वाली हो। मेरा फ़ोकस और मतलब अपनी सेलरी से होगा सिर्फ़ कम्पनी के लेवल से नहीं।
एचआर उसके रूखे जवाब सुनकर भन्ना गया। उसने सोचा कि यह कैसे खरे जवाब दे रहा है एचआर को, जबकि इंटरव्यू में तो कैंडिडेट, एचआर की तो चापलूसी पर उतर आते हैं ताकि उनको जॉब मिल सके। एचआर ने सोचा कि अब क्यों न युवक को क़ायदे से रोस्ट किया जाए मगर मख़मली शब्दों से।
एचआर:
आपकी सबसे बड़ी कमज़ोरी क्या है या आपको सबसे बुरा क्या लगता है?
युवक:
जब मेरिट, नौकरी में, मैं किसी लेडी से पिछड़ जाता हूँ। लड़कों से पिछड़ जाना तो मेरे लिये रोज़मर्रा की बात रही है।
एचआर:
आपकी सबसे बड़ी मिस्टेक क्या थी और उससे आपने क्या सबक़ लिया?
युवक:
मेरी सबसे बड़ी मिस्टेक यह थी कि मैंने जो पिछली नौकरी ज्वाइन की थी, उसे छोड़ दिया। और कॉर्पोरेट वर्ल्ड में किसी कम्पनी में तब तक नौकरी नहीं छोड़नी चाहिए जब तक कि कंपनी ख़ुद ही कंडीडेट को निकालने पर आमादा न हो जाये।
एचआर जान गया कि यह अब पूरी तरह न सिर्फ़ बेरोज़गार है बल्कि ज़रूरतमंद भी है। उसने सोचा कि अब इस कंडीडेट को जॉब पर रखने के बारे में सोचा जाए।
एचआर:
आपकी पिछली नौकरी में सबसे ख़ास बात क्या थी? मेरा मतलब है कि वहाँ पर आपने कोई ख़ास काम तो किया ही होगा अगर इतने दिन जॉब किया है तो।
युवक:
अगर मैंने कुछ ख़ास किया होता तो आज यहाँ जॉब तलाशने नहीं आता। कॉमन सेंस की बात है कि अगर पिछली कम्पनी में कुछ ख़ास होता तो मैं उसे छोड़ता ही क्यों?
एचआर:
कॉर्पोरेट वर्ल्ड में जॉब से जुड़ा सबसे बड़ा चैलेंज आपने कौन सा फ़ेस किया और उससे कैसे निकले?
युवक:
सबसे बड़ा चैलेंज तो यही है कि आपकी इस बात का जवाब देना, कि आप यह जॉब क्यों करना चाहते हैं? और अब मैं सोच रहा हूँ कि अब इस चैलेंज को पार कैसे करूँ। क्या जवाब दूँ आपको?
सवाल के जवाब में सवाल सुनकर एचआर परेशान हो गया। अब तो उसे सवालों के जवाब लेने की आदत रही थी, अब उसके सवालों पर उसी से सवाल दागे जा रहे थे। कुछ देर तक चुप रहने और विचार करने के बाद एच आर ने इंटरव्यू को आगे बढ़ाने का निर्णय किया।
एचआर:
आपने अपना लास्ट जॉब क्यों छोड़ा?
युवक:
उसी वजह से जिस वजह से आपने अपना लास्ट जॉब छोड़ा। वेरी सिम्पल, आई वांट मोर मनी।
एचआर:
आपकी इस कम्पनी से क्या उम्मीदें हैं?
युवक:
यही कि कोई ख़ास काम मुझसे न लिया जाए मगर पेमेंट ख़ास समझ कर किया जाए।
एचआर:
आपके कैरियर के क्या गोल हैं और आप उन्हें कैसे एचीव करेंगे?
युवक:
मेरे कैरियर का एक ही गोल है कि ज़्यादा से ज़्यादा पैसा कमाना। इसके लिये हमेशा नई कम्पनियों में ज़्यादा सेलरी के लिये एप्लाई करते रहना और जैसे ही ज़्यादा सेलरी वाली कम्पनी में जॉब कन्फ़र्म हो जाये, तुरंत पुरानी कंपनी को छोड़कर नई कम्पनी को ज्वाइन कर लेना।
एचआर:
आप हमारी कंपनी के वर्क कल्चर के बारे में क्या जानते हैं?
युवक:
मैंने आपकी कम्पनी की वेबसाइट ठीक से पढ़ ली है और मैं यह जनता हूँ कि जो कम्पनी अपने यहाँ के वर्क कल्चर को वेबसाइट पर जितना ज़्यादा ऑर्गेनाइज़्ड लिखती है वह कम्पनी उतना ही अंदर से डिसऑर्गेनाइज़्ड होती है, सो वर्क और वर्क कल्चर तो मैं समझ ही गया।
एचआर:
कितनी सेलरी की उम्मीद करते हैं?
युवक:
अब पुरानी सेलरी से ज़्यादा कमाने के लिये ही तो वो जॉब मैंने छोड़ा था। तो लास्ट सेलरी पर काम करने की तो सोचिए ही मत। मेरी लॉस्ट सेलरी का कम से कम 20 परसेंट हाइक तो होना ही चाहिए। मैं जानता हूँ कि एचआर बार्गेनिंग तो करते ही हैं। इसलिये मैं 30 परसेंट ज़्यादा सेलरी पर काम करने को तैयार हूँ। आप एचआर हैं आप भी अपना काम कर लीजिए सो बार्गेनिंग करके 10 परसेंट कम करवा लीजिए। मलतब लास्ट सेलरी के 20 परसेंट हाइक पर यह जॉब डन हुआ ना। कब दे रहे हैं मेरा अपॉइंटमेंट लेटर?
यह कहकर एचआर को युवक प्रश्नवाचक नज़रों से देखने लगा।
एचआर सकपका गया उसे कुछ सूझ ही नहीं रहा था कि वह युवक से क्या कहे। जब उसे कुछ नहीं सूझा तो उसने हाथ के इशारे से युवक को इंतज़ार करने को कहा और उठकर केबिन के अंदर बने एक दूसरे केबिन में चला गया ताकि अपने असहज मनोभाव और तनाव उस युवक से छुपा सके।
दूसरी तरफ़ एचआर की मनोदशा देखकर युवक कॉन्फ़िडेंट हो गया कि यह जॉब उसे ही मिलेगी और एचआर उसका एपाइंटमेट लेटर बनवाने ही अंदर गया है। इसीलिए एचआर ने उसे इंतज़ार करने को कहा है।
युवक प्रसन्नता से उठकर केबिन से लाऊँज में आ गया। वहाँ पर सुट्टा ब्रेक चल रहा था। वहाँ पर उसने एक दूसरे युवक से उसकी आधी पी हुई सिगरेट माँग ली और लंबे-लंबे कश लगाने लगा। पीछे कहीं किशोर कुमार की अभिनीत नौकरी फ़िल्म में किशोर कुमार का ही गाया हुआ गाना बज रहा था:
“एक छोटी सी नौकरी का तलबगार हूँ मैं,
तुमसे कुछ और भी माँगूँ तो गुनाहगर हूँ मैं।”
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