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बोलो ज़ुबाँ केसरी

“कितने ऐश से रहते होंगे
कितने इतराते होंगे
जाने कैसे लोग वो होंगे
जो उसको भाते होंगे“

जी हाँ उसको गुटखा बहुत भाता था, वो गुटखे के बिना न तो रह सकता था और न गुटखे के बिना वो कहीं जा सकता था। इसलिये अपने गर्व, अपने ब्रांड को लेकर वो क्रिकेट के हरे-भरे कुरुक्षेत्र यानी ग्रीन पार्क स्टेडियम पहुँच गया, और उस तक पहुँच गया फोटोग्राफर का कैमरा। उसके बाद तो सब इतिहास है। ये अज़ीमो शाहकार नज़ारा नूरे नज़र हुआ मैनचेस्टर ऑफ़ ईस्ट कहे जाने वाले शहर कानपुर में भारत और न्यूज़ीलैंड के बीच हुए क्रिकेट का टेस्ट मैच के दौरान। टेस्ट तो ड्रा रहा लेकिन अटेंशन किसी और ने ड्रा कर लिया। मैन ऑफ़ द मैच रहे गुटखा ब्वॉय। लोगों ने चैन की साँस ली कि चमड़े और गुटखे के लिये मशहूर कानपुर ने गुटखे की छाप छोड़ ही दी। लोग क़यास लगा रहे हैं कि अब अजय देवगन साहब अब ये विज्ञापन शायद ही करते नज़र आएँ, क्योंकि गुटखा ब्वॉय ने महफ़िल लूट रखी है, करतब क्रिकेटरों ने दिखाए लेकिन इनाम-इकराम गुटखा ब्वॉय को मिला। 

ये उसी तरह है कि अमिताभ और शाहरुख़ ख़ान जैसे अभिनेताओं की किसी फ़िल्म में कोई बाल कलाकार बाज़ी मार ले जाये। गुटखा कोई मामूली चीज़ थोड़े ना है कभी एक दूसरे के धुर विरोधी रहे अजय देवगन और शाहरुख़ ख़ान ने गुटखा खाने के लिये अपना मतभेद भुला दिया भले ही अमेरिका में। कुछ डिप्लोमेट सुझाव दे रहे हैं कि अगर कमला पसंद वाले किसी शिखर वार्ता का आयोजन कर दें तो भारत और पाकिस्तान के बीच दुश्मनी की बर्फ़ पिघल सकती है। आयडिया तो बुरा नहीं है और पाकिस्तानी तुरन्त तैयार हो जाएँगे क्योंकि उनके सदर-ए-रियासत इमरान ख़ान शाम को सात बजे के बाद ऐसी चीज़ों का सेवन प्रारंभ कर देते हैं, लेकिन भारत के टॉप लीडरशिप का कोई व्यक्ति गुटखा नहीं खाता। लेकिन पाकिस्तान का अलग ही लेवल का स्वैग चल रहा है। 

“रज्म में सब सुलह की बातें
और बेदी
बज़्म में सब चलते हुए खंजर
तेरे नाम” 

इमरान खान ने न्यू पाकिस्तान के नाम पर मानवता को ऐसे ही छुरा घोंपा है। इमरान खान ने भंग पॉलिसी (भाँग पॉलिसी) पेश की है लोगबाग अब उम्मीद कर रहे हैं कि भाँग पॉलिसी बन जाने के कारण पाकिस्तान के हर ज़रूरतमंद भाँग प्रेमी को उसकी ज़रूरत भर की भाँग सरकारी सब्सिडी पर सरकारी गल्ले (कोटे) की दुकान पर मिला करेगी। इसे कहते हैं इंसाफ़, जो भले ही सिर्फ़ नशेड़ियों को हासिल हो सके, ज़ाहिर है एक नशेड़ी ही दूसरे नशेड़ी का दुख दर्द समझ सकता है “नए पाकिस्तान में”। इमरान ख़ान की पार्टी की जब सिंध प्रांत में विपक्ष में थी तब उनके सूबाई नेता ने सार्वजनिक तौर से कहा था कि “करप्शन में हमें भी हिस्सा चाहिए, करप्शन में हिस्सा मिलना हर पाकिस्तानी का हक़ है“। अब इमरान ख़ान की पार्टी देश में हुकूमत कर रही। है तो अपनी विचारधारा को लेकर कटिबद्ध हैं और सभी को सब्सिडी वाला भाँग देने के लिए महती प्रयास कर रहे हैं। वैसे भी लाहौर की पहचान अब 42 हज़ार गधा गाड़ियों वाले शहर के तौर पर इमरान ख़ान के न्यू पाकिस्तान में होती है। 

इंडिया में भी अतरंगी चलन है तपती जेठ की दोपहरी में जब कोई किसी से पूछता है कि “क्या चल रहा है“ तो बन्दा कोहरा ना होते हुए भी कह देता है कि “फाग चल रहा है“। 

लेकिन पाकिस्तान तो कहता है कि हर मर्ज़ का कारण भी भारत है और करता सब कुछ रा है। किसी आम भारतीय से रा के बारे में पूछा जाए तो उसे तो रा का फ़ुलफ़ॉर्म तक नहीं मालूम है लेकिन पाकिस्तान को रा के बारे में बड़ी मालूमात हासिल करनी रहती है क्योंकि उन्हें अपनी कारस्तानी रा के मत्थे जो मढ़नी होती है। 

“हर हाथ में बंदूक होगी” की नीति वाले पाकिस्तान में जब पेशावर में सैकड़ों स्कूली बच्चों को आतंकवादियों ने मार डाला था तो तुरन्त उन्होंने अपने पापों का टोकरा रा के मत्थे थोपने की कोशिश की। जिस मुल्क में हर हाथ में हथियार होंगे तो वो ख़ून ही बहाएँगे, फूल नहीं। 

पाकिस्तान डे के अवसर पर मीनारे पाकिस्तान पर घूमने गयी एक युवती की धर्मोन्मादी भीड़ ने कपड़े तार-तार कर दिए, और इस्लामाबाद की सबसे महफ़ूज़ जगह पर ये सब हुआ, पुलिस कुछ ना कर सकी। बजाय पीड़िता के आँसू पोंछने के पूरा पाकिस्तान उस महिला की मज़म्मत पर उतर आया और ये चोंचले सामने रखे कि इसने पाकिस्तान को बदनाम करने के लिये इंडिया से पैसे ले कर ये सब ड्रामा रचा है; तो ये है इमरान खान का “न्यू पाकिस्तान”। पाकिस्तान के अदीबों–सहाफ़ियों ने उस पीड़िता की खिल्ली उड़ाई—

“शाइर हिकायतें न सुना
वस्ल ओ इश्क़ की
इतना बड़ा मज़ाक न कर
शाइरी के साथ“

इमरान ख़ान की कैबिनेट में एक मिनिस्टर हैं फवाद चौधरी। हज़रत काफ़ी पढ़े-लिखे हैं “साइंस और टेक्नोलॉजी” का ज़िम्मा इमरान ख़ान ने उन्हें ही दे रखा है। हाल ही में उन्होंने एक प्रेस कांफ़्रेंस करके बताया कि “गार्लिक का मतलब अदरक होता है“। पाकिस्तान की अवाम उनके इस ज्ञान पर फ़िदा है, वैसे दिमाग़ के ख़ासे तेज़ माने वाले और बेहद भारी वज़न के फवाद चौधरी को पाकिस्तान की संसद में भी“डब्बू“ कह कर बुलाया जाता है। ये वही वज़ीर डब्बू हैं जिन्होंने एक क्रांतिकारी खोज की थी बतौर साइन्स मिनिस्टर उन्होंने इस रहस्य से पर्दा उठाया कि—

“हम पानी इसलिये पीते हैं क्योंकि हम पानी को खा नहीं सकते“। 

बस चंद रोज़ पहले ही उन्होंने एक सनसनीखेज़ बयान दिया कि ”इमरान ख़ान सिर्फ़ पाकिस्तान में ही नहीं बल्कि इंडिया में भी इतने ज़्यादा लोकप्रिय हैं कि उतने मोदी जी भी नहीं हैं“। 

विश्व के सबसे बड़े गणतंत्र के सबसे लोकप्रिय नेता के बारे में फवाद चौधरी के इस बयान को विकिपीडिया ने “जोक ऑफ़ द ईयर” के लिये चुन लिया है। जबकि पाकिस्तान की नेशनल असेंबली के सामने ऑन रिकॉर्ड पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के चेयरमैन रमीज राजा ने कहा कि—

“इंडिया के सदर मोदी साहब अगर चाहें तो पाकिस्तान की क्रिकेट को फ़ौरन बर्बाद कर सकते हैं“। 

अब अगर क्रिकेट बर्बाद हो गयी तो पाकिस्तान के खेल-तमाशे बर्बाद हो जाएँगे। पाकिस्तान में तो खेल में भी खेल हो जाता है, क्योंकि टोक्यो ओलंपिक में उन्होंने एक ऐसी महिला एथलीट को दौड़ की प्रतियोगिता में करवा दिया जो नेशनल लेवल पर पाकिस्तान में कोई दूसरा खेल खेलती रही थी। ये ऐसा है जैसे आप नेशनल लेवल पर बैडमिंटन खेलते रहे हों और ओलम्पिक में आप टेनिस खेल लें, न्यू और इंसाफ़ पसंद पाकिस्तान में दोनों खेल लगभग एक ही माने जाते हैं। तहरीक-ए-इंसाफ़ पार्टी की राजनीति ही अपने आप में “पॉलिटिक्स ऑफ़ जोक“ है जिसमें फवाद चौधरी के अलावा शेख रशीद भी हैं जो “पाव-पाव भर के एटम बम“ से भारतीयों को मारने का ख़्वाब देखा करते हैं। 

इमरान ख़ान के क्या कहने उन्हें नोबेल पुरस्कार के लिये नॉमिनेट भी नहीं किया गया और उन्होंने लिख कर दे दिया था कि उन्हें नोबेल पुरस्कार नहीं चाहिये, बतौर हमसाया हम पाकिस्तान के अदीबों-सहाफ़ियों से यही कह सकते हैं—

“जो बात कहते डरते हैं सब
तू वह बात लिख
इतनी अँधेरी थी न कभी
पहले रात लिख।“

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