अन्तरजाल पर
साहित्य-प्रेमियों की विश्राम-स्थली

काव्य साहित्य

कविता गीत-नवगीत गीतिका दोहे कविता - मुक्तक कविता - क्षणिका कवित-माहिया लोक गीत कविता - हाइकु कविता-तांका कविता-चोका कविता-सेदोका महाकाव्य चम्पू-काव्य खण्डकाव्य

शायरी

ग़ज़ल नज़्म रुबाई क़ता सजल

कथा-साहित्य

कहानी लघुकथा सांस्कृतिक कथा लोक कथा उपन्यास

हास्य/व्यंग्य

हास्य व्यंग्य आलेख-कहानी हास्य व्यंग्य कविता

अनूदित साहित्य

अनूदित कविता अनूदित कहानी अनूदित लघुकथा अनूदित लोक कथा अनूदित आलेख

आलेख

साहित्यिक सांस्कृतिक आलेख सामाजिक चिन्तन शोध निबन्ध ललित निबन्ध हाइबुन काम की बात ऐतिहासिक सिनेमा और साहित्य सिनेमा चर्चा ललित कला स्वास्थ्य

सम्पादकीय

सम्पादकीय सूची

संस्मरण

आप-बीती स्मृति लेख व्यक्ति चित्र आत्मकथा यात्रा वृत्तांत डायरी बच्चों के मुख से यात्रा संस्मरण रिपोर्ताज

बाल साहित्य

बाल साहित्य कविता बाल साहित्य कहानी बाल साहित्य लघुकथा बाल साहित्य नाटक बाल साहित्य आलेख किशोर साहित्य कविता किशोर साहित्य कहानी किशोर साहित्य लघुकथा किशोर हास्य व्यंग्य आलेख-कहानी किशोर हास्य व्यंग्य कविता किशोर साहित्य नाटक किशोर साहित्य आलेख

नाट्य-साहित्य

नाटक एकांकी काव्य नाटक प्रहसन

अन्य

रेखाचित्र पत्र कार्यक्रम रिपोर्ट सम्पादकीय प्रतिक्रिया पर्यटन

साक्षात्कार

बात-चीत

समीक्षा

पुस्तक समीक्षा पुस्तक चर्चा रचना समीक्षा
कॉपीराइट © साहित्य कुंज. सर्वाधिकार सुरक्षित

शाश्वत हो हमारा गणतन्त्र दिवस

शाश्वत हो हमारा गणतन्त्र दिवस।
हमें रहे बचाए सदा होने से परवश।
 
हमारी आकांक्षा को प्रभु का वर रहे।
स्वतंत्रताएँ सारे विश्व में अमर रहें।
 
प्राप्त हो गणतन्त्र को नेतृत्व श्रेष्ठ।
पारित, संचालित हो, होता हुआ ज्येष्ठ।
 
शब्दों की भाषा ही कर्म भी बोले।
नेतृत्व सर्वदा ही अपने को तौले।
 
न्याय की प्रक्रिया हो शुद्ध जीवंत।
दंड का विधान कभी न बने आतंक।
 
शासन में शासित की अदम्य आस्था,
बनी रहे अखंडित, प्रभु का वास्ता!
 
गणतन्त्र एकता, अनेकता का है।
यह विचार हो परम, देवता का है।
 
‘वाद’ सारे ढोंग के पर्याय हैं बने।
देखिये हैं कैसे आमने-सामने तने।
 
सुख मर्यादित हो स्वच्छ्न्द नहीं।
जब तक दु:खों का हो विघटन नहीं।
 
संसाधन साधन हो कल्याण का।
रक्षक बन खड़ा रहे सारे प्राण का।
 
शिक्षा ही शौर्य हो शिक्षा सौंदर्य।
शिक्षा से बढ़कर क्या कोई ऐश्वर्य!
 
गणतन्त्र प्रतिज्ञा हो और संकल्प।
इसके सिवा न मानो कोई विकल्प।

अन्य संबंधित लेख/रचनाएं

'जो काल्पनिक कहानी नहीं है' की कथा
|

किंतु यह किसी काल्पनिक कहानी की कथा नहीं…

14 नवंबर बाल दिवस 
|

14 नवंबर आज के दिन। बाल दिवस की स्नेहिल…

16 का अंक
|

16 संस्कार बन्द हो कर रह गये वेद-पुराणों…

16 शृंगार
|

हम मित्रों ने मुफ़्त का ब्यूटी-पार्लर खोलने…

टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

कविता - हाइकु

कविता

चिन्तन

विडियो

उपलब्ध नहीं

ऑडियो

उपलब्ध नहीं