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नव इतिहास

स्वर्ण परिंदे का स्वर्णिम सत्य, कसौटी पे कसना होगा। 
ग्रंथों की ग्रंथियों में घुसकर, ग्रंथ का रस चखना होगा॥ 
अब तक के इतिहास ने हमें, भ्रमित कर के रक्खा है। 
इतिहास से इतिहास सरेख, नव इतिहास रचना होगा॥ 
 
वेदना यह व्यथित मन की, जाकर मैं किससे कह दूँ। 
कौन है यहाँ सुनने वाला, ज़ाहिर हो जिससे कह दूँ॥ 
दिलोदिमाग़ में बैठा दी हैं, खिलजी बाबर की यात्राएँ। 
भला उस मन में कैसे भरूँ, मैं वीर पुत्रों की गाथाएँ॥ 
बचपन से जो देख रहा है, ताज प्रेम की एक निशानी। 
वो भला कैसे समझ पायेगा, निर्मम हाथों की क़ुर्बानी॥ 
जिसको बस सुनाई गयी है, रजिया बेगम की कहानी। 
वो भला पहचानेगा कैसे, दुर्गा, अवंती, लक्ष्मी मर्दानी॥ 
दूजों को समझाने से पहले, हमको ही समझना होगा। 
इतिहास से इतिहास सरेख, नव इतिहास रचना होगा॥ 
 
लिखना होगा कैसे बाहरी, छलते रहे हैं अपना भारत। 
लिखना होगा कैसे बाहरी, दलते रहे हैं अपना भारत॥ 
लिखना होगा क्यूँ ये हिन्दू, खलते रहे हैं उन्मादी को। 
लिखना होगा क्यूँ ये हिन्दू, खलते हैं एक जेहादी को॥ 
रामायण औ गीता की बातें, लिख कर बतलानी होंगी। 
और क़ुरान की हर आयातें, हमको ही समझानी होंगी॥ 
समझाना होगा हिंद को, कौन बाशिंदा कौन मुसाफ़िर। 
बतलाना होगा हिन्दू को, आख़िर बना वो कैसे काफ़िर॥ 
कब तक डरोगे शोलों से, इक दिन इन पर चलना होगा। 
इतिहास से इतिहास सरेख, नव इतिहास रचना होगा॥ 
 
मक्कारों की मक्कारी के, कृत्य का लेखन करना होगा। 
तथ्यों को कर दे उजागर, तथ्य का लेखन करना होगा॥ 
कपट और फ़रेब तजकर, सत्य का लेखन करना होगा। 
चक्षु जागृत जो करदे, साहित्य का लेखन करना होगा॥ 
उल्लेखन करना होगा जी, देश प्रेम के नारों का लेखक। 
उल्लेखन करना होगा जी, वीरों के हत्यारों का लेखक॥ 
देशभक्त अरु गद्दारों का, आकलन हमें करना होगा। 
उल्लेखन करना होगा जी, दोनों के विचारों का लेखक॥ 
उन विचारों पर कर विचार, विचार को उलचना होगा। 
इतिहास से इतिहास सरेख, नव इतिहास रचना होगा॥ 
 
कवि तुमको लिखना होगा, राणा सांगा का बलिदान। 
कवि तुमको लिखना होगा, महाराणा जी का सम्मान॥ 
कवि तुमको लिखनी होगी, वीर शिवाजी की ललकार। 
कवि तुमको लिखनी होगी, छत्रसालबली की तलवार॥ 
लिखना होगा कैसे पद्मा ने, खिलजी को था ललकारा। 
लिखना होगा कैसे पृथ्वी ने, मोहम्मद गौरी था मारा॥ 
पन्ना धाय की क़ुर्बानी को, पन्नों में अब लाना होगा। 
बकलोल को चीरा किसने, बच्चों को बतलाना होगा॥ 
इतिहास के झूठ पुलंदों को, पुनः से अब परखना होगा। 
इतिहास से इतिहास सरेख, नव इतिहास रचना होगा॥ 
 
किसने केसर की क्यारी में, बंदूकों को बोया साहिब। 
क्यों कश्मीरी पंडित बेचारा, घर खोकर रोया साहिब॥ 
किसकी कर्म करनी को, हमने अब तक ढोया साहिब। 
किस झूठे इतिहास को पढ़, हिंदू आज सोया साहिब॥ 
किसने देश को बेचा बाँटा, और किसने देश बचाया है। 
किसने देश पे जान लुटाई, और कौन उन्हें मरवाया है॥ 
किसने सारा दूध पकाया, और कौन मलाई खाया है। 
किसके दम पर राज मिला, और कौन गद्दी ये पाया है॥ 
आज देश के भविष्यों को, यह इतिहास पढ़ना होगा। 
इतिहास से इतिहास सरेख, नव इतिहास रचना होगा॥ 
 
क़लम से अब उकेर डालो, प्राचीर तेजोमहालय की। 
क़लम से अब उकेर डालो, जागीर उस शिवालय की॥ 
आओ अब उकेर के रख दो, काशी मथुरा की सच्चाई। 
आओ अब उधेड़ के रख दो, काबा के बाबा की बड़ाई॥ 
राम लला की जीत के क़िस्से, गली गली में गानें होंगे। 
बाबर की बाबरी के परखच्चे, कैसे उड़े हैं बताने होंगे। 
मन में सुलगी चिन्गारी को, दिल की आग बनाना होगा। 
लुटते पिटते हिंदुत्व का हिंदू, तुमको भाग बचाना होगा॥ 
’पारस’ इनकी घुड़कियों पर, डरना नहीं गरजना होगा। 
इतिहास से इतिहास सरेख, नव इतिहास रचना होगा॥ 

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