बलात्कार
काव्य साहित्य | कविता रेखा राजवंशी1 Oct 2023 (अंक: 238, प्रथम, 2023 में प्रकाशित)
माँ ने कहा था
तुम लड़की हो
अकेले कहीं मत जाना
रात बिरात देर से मत आना
बात बेबात
मत खिलखिलाना
ज़माना ख़राब है
किसी को कुछ मत बताना
और लड़की ने सब माना
पर जब
उसका बलात्कार हुआ
तो न तो
वो घर से बाहर थी
न खिलखिला रही थी
और वक़्त भी
भरी दोपहर का था।
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
कविता
नज़्म
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं