हाँ, मैं स्त्री हूँ!!
काव्य साहित्य | कविता डॉ. शैलजा सक्सेना8 Jan 2019
मैं,
पापा का लाड़
माँ की आँख का गौरव,
भाई की राखी
बहन की सहेली
दादी-नानी के गले का हार हूँ
कौन कहता है किसी से कम हूँ?
मैं,
शिष्टाचार की मर्यादा
सम्यता की परिभाषा
विद्या में गार्गी
कला में नये प्रतिमान
कर्म में कल्पना चावला हूँ
कौन कहता है किसी से कम हूँ?
मैं,
उत्सव की रागिनी,
त्यौहारों का रंग,
झूलों की पींग,
ढोलक की थाप,
पायल की छनक हूँ
कौन कहता है किसी से कम हूँ?
मैं,
चूल्हे की आग,
रसोई की महक,
बच्चों की हर घड़ी की पुकार,
पति का प्यार
सास-ससुर का दुलार हूँ,
कौन कहता है किसी से कम हूँ?
मैं,
पूजा की विधि,
हवन में बायाँ हाथ,
मूर्ति की पूर्ति,
अगरबत्ती की महक,
प्रसाद की मिठास हूँ
कौन कहता है किसी से कम हूँ?
जो करना चाहता है मुझे कम
उनकी बुद्धि पर मुझे तरस आता है
चढ़ते हुये सूर्य को भला
कौन रोक पाता है?
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