शैलजा सक्सेना हाइकु - 1
काव्य साहित्य | कविता - हाइकु डॉ. शैलजा सक्सेना4 Aug 2014
१.
मेघ घिरते
गिलहरी सी धूप,
भागी, दुबकी !
२.
ऊँची बिल्डिंगें
कटा फटा रूमाल
आकाश झाँके !
३.
जूही, कनेर
से भाव मेरे, क्लांत
जेठ यथार्थ !
४.
दोस्ती ख़ुश्बू
हाथ पकड़े डोले
दूरियों में भी !
५.
गद्य जीवन
कवितामय तुम हो
गाऊँ तो कैसे?
६.
कड़ी सुरक्षा!
नफ़रत घूमती
चारों ओर फिर भी !
७.
युग बदले
दुनिया भी बदली
आदमी वही !
८.
शोर सैलाब
बहे हर आवाज़
सुनें- बोलें क्या?
९.
दूजे पर अँगुली
उठाता हर कोई
अपनी छूट !
१०.
(शीर्षक -पंजाब)
नशे में डूबे
बच्चे खेतिहर के
धरती रोये !
११.
पेड़ लटकी
लाश कोई और क्या?
हम ही तो हैं !!
१२.
सूना आँगन
गौरैया ढूँढे दाना
कहाँ हैं लोग?
१३.
मेरी पहचान
अब भी टँगी है
तेरी आँखों में !
१४.
चिंता तुम्हारी
नींद उड़ायें मेरी
ये क्या हिसाब?
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