कोई नहीं बन सका इंद्र
काव्य साहित्य | कविता सुनील कुमार शर्मा15 Sep 2022 (अंक: 213, द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)
जो बने फिरते थे
बड़े–बड़े सिकंदर
आज मुँह छुपाये पड़े हैं
क़ब्रों के अंदर
उनके वंशज
दर-दर भटक रहे हैं
बनकर कलंदर
इन सिकंदरों को आज
कोई नहीं पूछता
पूजे जाते हैं
इनके द्वारा बनकर गए
मस्जिद और मंदिर
इतिहास की किताबों को
पढ़ने से पता चलता हैं
कि ये भी थे कभी
पृथ्वीलोक के धुरंदर
तलवारों के बल पर
इन्होंने जीत लिए थे
बड़े-बड़े समंदर
बस यह समझ लो
जो था, जो हैं
वही रहेगा
इंद्रासन को जीत कर
कोई नहीं बन
सका इंद्र
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