गारंटी
कथा साहित्य | लघुकथा सुनील कुमार शर्मा1 May 2022 (अंक: 204, प्रथम, 2022 में प्रकाशित)
“. . . अगर बच्ची बस वाले स्कूल में जाने की ज़िद कर रही है, तो भेज दो बेचारी को,” ज़ोर-ज़ोर से रो रही बच्ची को चुप कराते हुए गाँव की एक महिला ने उस बच्ची की माँ से कहा।
जिसे सुनकर उस बच्ची की माँ उसके मुँह पर ज़ोर से चाँटा मारते हुए उस महिला से बोली, “इतना ख़र्चा करके महँगे स्कूल में पढ़ाने से इस बात की गारंटी तो नहीं, इसे नौकरी मिल जाएगी; पर इस बात की तो पूरी गारंटी है कि यह बिना पढ़े गाँव की दूसरी अनपढ़ लड़कियों की तरह खेतों में दिहाड़ी तो कर सकेगी।
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