बिजली चोर
कथा साहित्य | लघुकथा सुनील कुमार शर्मा1 Dec 2023 (अंक: 242, प्रथम, 2023 में प्रकाशित)
“अरे, यह किराएदार कल ही तो आया है—और आज ही इसने कितनी निडरता के साथ, सरेआम पीछे से बिजली की तार लगा ली। मैं अभी बिजली बोर्ड के दफ़्तर में जाकर इस बिजली चोर की शिकायत करता हूँ।” यह कहते हुए वह उलटे क़दम बिजली बोर्ड के दफ़्तर की ओर चल पड़ा।
वह जैसे ही दफ़्तर में दाख़िल हुआ, साहिब की कुर्सी पर बैठे आदमी को देखकर बुरी तरह से चौंक पड़ा–अनायास ही उसके मुँह से निकला, “आप?” वह कुर्सी पर बैठा हुआ साहिब उसे देखकर मुस्कुराते हुए बोला, “बैठिये, आपने मुझे पहचान लिया में आपका नया पड़ोसी हूँ, अभी-अभी ट्रांसफ़र होकर यहाँ आया हूँ . . . बोलो आप किसलिए यहाँ आये?”
जिसे सुनकर वह मैं . . . मैं . . . मैं करते हुए बुरी तरह से बौखला गया, क्योंकि उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या कहे कि किसलिए आया है?
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