बाज़
काव्य साहित्य | कविता फाल्गुनी रॉय1 Feb 2022 (अंक: 198, प्रथम, 2022 में प्रकाशित)
वो चुनता है अक़्सर
निर्जनता,
ऊँचे पेड़, एकांत बीहड़ या निर्गम पहाड़ की चोटियाँ,
सेंकड़ों फीट ऊँचाई से ख़ामोश
वो करता है अवलोकन
स्थितियों का।
सहसा एक गंभीरता
उसके निगाहों में आ उतरती है
एक गति उसके रगों में,
आसमान उसके नीचे होता है
और शिकार उसके पंजों पर,
डैनों को फैला कर अपने
जब वो उड़ता है
नीले बादलों के बीच अकेला और शानदार।
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