उदासियाँ
काव्य साहित्य | कविता फाल्गुनी रॉय1 Feb 2022 (अंक: 198, प्रथम, 2022 में प्रकाशित)
विरक्तियों से भरा दिन
बोझिल खिजलाया सा मन
और चीज़ों से रंग उड़ा सा है
ये पीले फूल,
उड़ते परिंदे,
उजला रोशनदान,
सरसराती हवा,
ठहरा हुआ सा पहर
सब फीका-फीका और रंगहीन।
एक अजीब सी निराशा लौटकर आती है
हर जगह से,
एक गम्भीर सी उदासी छाती है
हर वजह पे
और बरस रही है
दूर-दूर तक
उदासियाँ, उदासियाँ, उदासियाँ . . .
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