हमारे वृद्ध
काव्य साहित्य | कविता डॉ. प्रीति सुरेंद्र सिंह परमार1 Oct 2023 (अंक: 238, प्रथम, 2023 में प्रकाशित)
बुज़ुर्गों के हाथ आशीर्वाद
के लिए उठे तो अच्छे लगे
यह दौलत, शोहरत, नाम
यहीं छूट जाना है रहना है
सिर्फ़ इंसानियत और इंसान
यह चिंतन मनन और मंथन
अनुभव, तजुर्बा, गहनता
वृद्ध फलदार वृक्ष की तरह
हँसते, मुस्कुराते आशीष देते
तटस्थता, सहजता, सरलता
प्रकृति से सब कुछ पाकर
संवेदनाओं, सौम्यता, पूर्णता
प्रकृति को फिर लौटते हुए
हलचल में भी निर्मल, शांत
अपने ज्ञान की धरोहर को
दूसरों को आवंटित करते
विविध परिदृश्य में कुशलता
से तादम्य स्थापित करते
शीतल जल सा स्नेह लेपन
मृदु वचन वाणी से झरते
ऐसे कुछ वृद्ध जन होते हैं
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