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विवाह पूर्व जासूसी अनिवार्य: वरमाला से पहले वेरिफ़िकेशन

 

“अब शादी से पहले लड़का-लड़की की कुंडली नहीं, सीसीटीवी फ़ुटेज, कॉल रिकॉर्ड और बैंक स्टेटमेंट मिलाएँ। क्योंकि आजकल सात फेरे नहीं, सात फ़्रॉड होते हैं!”

शादी एक पवित्र संस्कार है . . . था, अब जाँच-पड़ताल से गुज़रने वाला उच्च-जोखिम का निवेश है। 

पहले कहते थे: “वर-कन्या का मिलन जन्मों का बंधन होता है।”

अब कहते हैं: “कृपया प्राइवेट डिटेक्टिव से सत्यापन कराएँ, अन्यथा जन्म ही अंतिम हो सकता है।”

1. कुंडली से ज़्यादा ज़रूरी–कंडीशन रिपोर्ट! 

पंडित जी कुंडली मिलाने में व्यस्त रहते हैं—लेकिन लड़का-लड़की कब से किसी नीले ड्रम वाले प्रेम में रँगे हैं, किसी को ख़बर ही नहीं होती। 

अब “गुण मिलान” से पहले गूगल लोकेशन हिस्ट्री मिलान अनिवार्य कर देना चाहिए। 

2. माता-पिता की नई चिंता

आजकल माँ-बाप का पहला सवाल: “लड़का क्या करता है?” नहीं होता। 

पहला सवाल: “कहीं उसकी माँ अपनी ही बहू से तो फ़्लर्ट नहीं करती?” 

जी हाँ, सासों का एक वर्ग, अब “सौतन-समान” न होकर, दामाद-संबंधी आकर्षण में फँसा पाया गया है। 

ससुर भी पीछे नहीं—रिटायरमेंट के बाद ज़िन्दगी का एक मात्र मक़सद: “किराने की दुकान वाली भाभी से बहाना बनाकर राशन ख़रीदना” बन गया है। 

3. जासूस बनाम ज्योतिषी

आजकल ज्योतिषी हाथ की रेखा देखता है, जासूस सोशल मीडिया रेखा। 

कुंडली में ‘मंगल दोष’ दिखे न दिखे, Instagram पर 3 ID और Snapchat पर अदृश्य प्रेम मिलना तय है। 

क़ानून में अब प्रस्ताव आना चाहिए: “शादी से पहले 6 माह का पर्सनल केस स्टडी अनिवार्य है।”

वरना “दहेज एक्ट” नहीं, “हत्या एक्ट–धारा पत्नी सप्रमाण” में उलझ सकते हैं। 

4. शादी से पहले ‘गारंटी कार्ड’

सरकार ने जहाँ अग्निवीर बनाए हैं, अब हर गाँव-शहर में ‘विवाहवीर जासूस सेवा’ आरंभ होनी चाहिए। हृष्ट-पुष्ट युवा की ज़रूरत है, जितने दिन शादी चलेगी उतना वेतन बढ़ता जाएगा। 

हर शादी से पहले एक रिपोर्ट दी जाए: लड़के की प्रेमिकाएँ कितनी थीं? 

लड़की की पसंद: जीवनसाथी या इंश्योरेंस पॉलिसी? 

क्या लड़की को नीले ड्रम से अजीब सा आकर्षण है? 

क्या सास “सीरियल रोमांसर” की पूर्व छात्रा रह चुकी हैं? 

क्या ससुर की निगाहें बहू की अलमारी से ज़्यादा उसके मोबाइल पर रहती हैं? 

5. विवाह या आत्मघात? 

“सात साल के भीतर पति मरा–पत्नी पर केस” यह अब समाचार नहीं, आँकड़ा है। 

विवाह के सात फेरे अब सात ख़तरे बन चुके हैं:

  • झूठा प्रेम

  • बीमे की चाह

  • अफ़ेयर की आदत

  • सोशल मीडिया की सनक

  • सास की आशंका

  • ससुर का चरित्र

  • ससुराल का CCTV

6. समाधान? 

अब सरकार को चाहिए कि वह हर थाने में एक ‘विवाहिक आशंका पंजी’ बनाए—जहाँ वर-वधू दोनों की सामाजिक, नैतिक और मनोवैज्ञानिक पृष्ठभूमि की जाँच हो। 

कुंडली के साथ-साथ CRB (Character Research Bureau) की मुहर लगे—तभी शादी हो। 

अब शादी के कार्ड में लिखा जाए—

‘शुभ विवाह, रिसर्च के पश्चात’ 

और वरमाला में फूल नहीं, डेटा प्रूफ़ टैग्स बाँधें जाएँ। 

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