प्रश्न
काव्य साहित्य | कविता भुवनेश्वरी पाण्डे ‘भानुजा’1 Sep 2021 (अंक: 188, प्रथम, 2021 में प्रकाशित)
क्या तुम्हें अभी भी संदेह है, कि ईश्वर है तो कहाँ है?
क्या तुमने अपनी आँखें, ठीक से नहीं देखीं,
क्या तुमने अपनी मधुर, हृदय की रवां ताल नहीं सुनी,
क्या साँसों का आना जाना,
क्या चलते पदों की चपलता,
क्या पुष्पों की सुगंधि
अपने भीतर आती जाती नहीं देखी ठीक से।
चलो बैठ जाओ एक आसन पर,
पलकें मूँद लो, मूँद लो आँखें,
भीतर के अन्धकार में एकदम से एक गोल
प्रकाश बिन्दु उभर कर आ जा तो,
उसे ही तुम ईश्वर जानो॥
बड़े हो गये हो, बढ़ आओ इस ओर,
बुद्धि में उपज रहे, अनन्त प्रश्नों को,
हृदय से उभरती शीतल पवन से शान्त कर दो,
इसी शांति में, खोजो परम शांति, वही ईश्वर है।
सभी बताते हैं, ईश्वर हृदय कमल में विराजित है।
क्या तुम्हें अभी भी संदेह है,
कि ईश्वर है तो कहाँ है?
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