घी दही संग खिचड़ी खाए
काव्य साहित्य | कविता प्रतिभा पाण्डेय ‘प्रति’15 Jan 2025 (अंक: 269, द्वितीय, 2025 में प्रकाशित)
विष्णु ने काटा असुर सिर,
सिर गाड़ दिया मंदराचल पर
जीत सभी संक्रान्ति पर्व मनाये,
रवि उत्तरार्द्ध होकर मकर जाए।
चीनी की पट्टी, गुड़ का डुन्डा,
तिल का लड्डू मन को भाये।
कुरई में रखकर लाई चूरा,
घी दही संग खिचड़ी खाये।
राज्यों में अनेक नाम प्रसिद्ध,
कहीं खिंचड़ी कहीं लोहड़ी तो,
कही पोंगल माघी, उत्तरायण,
देशवासी मकर संक्रान्ति बुलाए।
पोंगल तमिल समुदाय त्योहार,
फ़सल कटाई सम्पन्न व्यवहार।
बुरी आदत छोड़ने का संकल्प,
नया साल आरम्भ त्योहार मनाए।
घर साफ़ कर रंगोली सजाकर,
वर्षा धूप कृषि की अर्चना कर।
अनेक परम्परा, रीति का पालन,
सूरज, गौमाता बैल को हैं पूजते।
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