सफलता का कुंजी पिता
काव्य साहित्य | कविता अमित कुमार दे1 Jul 2023 (अंक: 232, प्रथम, 2023 में प्रकाशित)
मेरी आन,
मेरी शान पिता।
मेरी अरमानों का,
पहचान पिता।
सफलता का कुंजी पिता,
परिश्रम सीखाते पिता।
ग़लती पर डाँटते पिता,
अच्छाई पर फूले न समाते पिता।
मेरी सीख पिता,
मेरी जीत में पिता,
मेरी परछाईं में पिता,
मेरी सब्र में पिता,
मेरी परवरिश में पिता,
मेरी लेखनी में पिता,
जीतने की ललक में पिता,
मेरे रूप में पिता,
मेरे रंग में पिता,
जीवन के कण-कण में पिता।
मेरे ग़म को बाँचते पिता,
मेरी पहचान को सींचते पिता।
ऊंगली का सहारा पिता,
मेरी चाल, मेरी ढाल पिता,
जीवन के रंगमंच के नायक पिता।
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