दिवाली
काव्य साहित्य | कविता सी.आर.राजश्री27 Oct 2007
देखो दिवाली आ गई!!!!
देखो दिवाली आ गई!!!!
सुन्दर दीपक जल उठे,
आशा के नए उमंग खिल उठे,
फूल-सा पूरा माहौल महक उठे,
बच्चे, बूढ़े, नर-नारी सब चहक उठे।
देखो दिवाली आ गई!!!!
देखो दिवाली आ गई!!!!
आ गई है त्योहार दिवाली की,
मौज-मस्ती से अब दिन गुजारने की,
मन की सारी व्यथा को भूल जाने की,
भाईचारे और प्रेम को फिर से बढ़ाने की।
देखो दिवाली आ गई!!!!
देखो दिवाली आ गई!!!!
साफ-सफाई सारे घर की हो गई,
मिठाईयों की खुशबू सब ओर फैल गई,
दिल में नई अरमान जग गई,
भूमण्डल सारी शोभित हो गई।
देखो दिवाली आ गई!!!!
देखो दिवाली आ गई!!!!
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