वसंत
काव्य साहित्य | कविता गौरीशंकर वैश्य ‘विनम्र’15 Jan 2024 (अंक: 245, द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)
मनमोहक वसंत आया है
पुष्प खिले हैं उपवन-उपवन।
ऋतुओं का राजा कहलाता
नई उमंगें देकर जाता
वसंत पंचमी की शुभ तिथि को
माँ वाणी का करते पूजन।
नवल प्रकृति की सुषमा न्यारी
महक रही है क्यारी-क्यारी
बीत गई है ऋतु पतझड़ की
हवा बजाती पायल छन-छन।
अमराई में कोयल बोले
कानों में जैसे मधु घोले
रंगबिरंगी उड़ें तितलियाँ
चंचल भौंरे करते गायन।
हम भी कलियों-सा मुस्काएँ
सदा सुहाने स्वप्न सजाएँ
जाग उठे हैं भाव सुकोमल
मुदित हुआ आशामय जीवन।
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