नए साल को
काव्य साहित्य | कविता डॉ. अमिता शर्मा4 Jan 2015
देना चाहती हूँ नए साल को
अच्छा सा आसन
गर्म सा दुशाला
करना चाहती हूँ दिल से स्वागत
बहुत काम करवाने हैं इससे
बहुत बोझ उठवाने हैं इससे
बोझ जो छोड़ गया बीता साल
दिल पर दिमाग़ पर सवाल ही सवाल
देना चाहती हूँ
नये साल को कुछ हाथ
कुछ आँसू पोंछवाने हैं इससे
कुछ धीरज बँधवाने हैं इससे
देना चाहती हूँ
नये साल को नए कांधे
भारी मन हल्काने हैं इससे
नन्हों के बस्ते उठवाने हैं इससे
देना चाहती हूँ
नये साल को कुछ पैर
चक्की के चक्कर लगवाने हैं इससे
हर चूल्हे तक पहुँचवाने हैं इससे
देना चाहती हूँ
नये साल को नई नज़र
नये सवाल पु्छवाने हैं इससे
नये हल निकलवाने हैं इससे . . .
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
सामाजिक आलेख
कविता
- अथ से अभी तक
- आज फिर बाहर चाँदी बिछी है
- नए साल को
- बबूल एक शाश्वत सत्य है
- मेरी हक़ूमत हैरान है पहले भी परेशान थी अब भी परेशान है
- मेरे गाँव के घर का द्वार
- शास्त्र पर सम्वाद जो चाहा
- संवादों पे साँकल
- समूची धरा बिन ये अंबर अधूरा है
- सिंहासन सो रहा है
- हम भी होली खेलते जो होते अपने देश
- ज़िन्दगी
- ज़िन्दगी-ज़िन्दगी
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं