अथ से अभी तक
काव्य साहित्य | कविता डॉ. अमिता शर्मा30 Dec 2014
अथ से अभी तक जो जैसा मिला
सर माथे ले कर के जीते रहे
विधाता की झोली सुदामा भी हो गयी
बन गए कान्हा सीते रहे
गिला है न शिकवा ज़माने से कोई
तक़दीर से भी तक़ाज़ा नहीं
जीना कही जब ज़हर भी हुआ
बन गए मीरा पीते रहे
इन्द्रधनुष ले के कुरुक्षेत्र पहुँचे
सत्ता से सत्ता की देखी लड़ाई
सिंहासन से चस्पा वफ़ादारी देखी
विदुरों के तरकश रीते रहे
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