ज़िन्दगी
काव्य साहित्य | कविता डॉ. अमिता शर्मा31 Mar 2015
शबनम सी पिघलती जाये ज़िन्दगी
चुपके से कुछ कहती जाये ज़िन्दगी
एहसान सा उतरती जाये ज़िन्दगी
पल पल कतरती जाये ज़िन्दगी
पहरेदार सी ख़बरदार सी ज़िन्दगी
अल्हड़ बेख़बर दमदार सी ज़िन्दगी
बिखरे तो बस बिखर जाए ज़िन्दगी
निखर तो बस निखर जाए ज़िन्दगी
शबनम सी पिघलती जाये ज़िन्दगी
चुपके से कुछ कह के जाये ज़िन्दगी
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