सिंहासन सो रहा है
काव्य साहित्य | कविता डॉ. अमिता शर्मा1 Aug 2014
अँधियारों से करे दोस्ती और चैन की नीद सोये
कोई कह दे दबी दूब से शबनमी न रोने रोये
सिंहासन सो रहा है
पाँखों को करे काला, न रंगों की सरिता बहाये
कोई कह दे तितली से उपवन कभी न जाए
सिंहासन सो रहा है
किलकारी भूल जाएँ महतारी भूल जाएँ
दुधमुँहियों से कह दे पलनों में सहम जाएँ
सिंहासन सो रहा है
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