यह केवल शब्द नहीं
काव्य साहित्य | कविता कंचन चाबुक1 Dec 2022 (अंक: 218, प्रथम, 2022 में प्रकाशित)
महज़ शब्द नहीं होते
आधार इन रचनाओं का,
ज़रा क़रीब से देखो तो
इनमें कुछ कहानियाँ मिलेंगी।
सिर्फ़ इन अल्फ़ाज़ों को सुनकर
कोई टिप्पणी न देना,
ख़ुद को खोकर देखो
इनमें कुछ गहराइयाँ मिलेंगी।
कुछ वादे मिलेंगे
कुछ इरादे मिलेंगे,
कुछ एहसासों में बँधी
साझेदारियाँ मिलेंगी।
जो बयाँ नहीं हो सकता
महफ़िलों में सरेआम,
उस भाव और स्वभाव की
परछाइयाँ मिलेंगी।
कुछ ख़्वाब मिलेंगे
इनमें कुछ गुलाब मिलेंगे,
कुछ रूह पर लगी
पहरेदरियाँ मिलेंगी।
आसान नहीं है ख़ुद को
कोरे कागज़ पर उतार पाना,
मेरी शख़्सियत में शामिल
कई भागीदारियाँ मिलेंगी।
तन्हाई के शिकार थे
जब मंज़िल से दूर थे,
क़ामयाबी पर न जाने
कितनों की दावेदारियाँ मिलेंगी।
महज़ शब्द नहीं हैं
रचनाएँ मेरी
हर अल्फ़ाज़ से जुड़ी
कहानियाँ मिलेंगी॥
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
कविता
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं