समय
काव्य साहित्य | कविता डॉ. सुनीता जाजोदिया1 Aug 2022 (अंक: 210, प्रथम, 2022 में प्रकाशित)
निर्बलों को भयभीत कर सताता
सबलों को मित्रवत राह दिखाता।
नित नवीन रूप में प्रकट होता
तिथि के पन्नों में रम जाता।
महारथियों को भी धूल चटाता
जीवन में हरदम हलचल मचाता।
शातिर चालें हर क़दम ख़ूब चलता
किसी आँगन दो घड़ी ना ठहरता।
हँसती रोती यादों के नैनों से झाँकता
कहानी का ग़ज़ब किरदार बन जाता।
साढ़ेसाती में ज़ख़्म गहरे दे जाता
मलहम लगा फिर रंग बदल लेता।
अनुभवों की नित सौग़ात दे जाता
जीवन का अनमोल पाठ पढ़ाता।
परिवर्तन चक्र का सारथी बनकर
महाप्रतापी जगदगुरु कहलाता॥
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
कहानी
लघुकथा
कविता
कार्यक्रम रिपोर्ट
- अनुभूति की आठवीं 'संवाद शृंखला' में बोले डॉ. बी.एस. सुमन अग्रवाल: ‘हिंदी ना उर्दू, हिंदुस्तानी भाषा का शायर हूँ मैं’
- अनुभूति की ‘गीत माधुरी’ में बही प्रेमगीतों की रसधार
- डब्लूसीसी में उत्कर्ष '23 के अंतर्गत हिंदी गद्य लेखन कार्यशाला एवं अंतर्महाविद्यालयीन प्रतियोगिताओं का आयोजन
- डब्लूसीसी में डॉ. सुनीता जाजोदिया का प्रथम काव्य संग्रह: ‘ज़िन्दगी का कोलाज’ का लोकार्पण
- तुम्हारे क़दमों के निशान दूर तक चले लो मैंने बदल ली राह अपनी: मेरी सृजन यात्रा में मोहिनी चोरड़िया से संवाद
- मैं केवल एक किरदार हूँ, क़लम में स्याही वो भरता है: अनुभूति की पंचम ‘संवाद शृंखला’ में बोले रमेश गुप्त नीरद
- व्यंग्य का प्रभाव बेहद मारक होता है: अनुभूति की पंचम संवाद शृंखला में बीएल आच्छा ने कहा
- श्रेष्ठ साहित्य का अध्ययन और चिंतन-मनन आवश्यक: अनुभूति की चतुर्थ ‘संवाद शृंखला’ में बोले डॉ. दिलीप धींग
- श्रेष्ठ साहित्य का अध्ययन और चिंतन-मनन आवश्यक: अनुभूति की तृतीय ‘संवाद शृंखला’ में बोले डॉ. दिलीप धींग
- सच्ची कविता स्वांत: सुखाय की अभिव्यक्ति है, इसमें कोई मायाजाल नहीं होता: अनुभूति की द्वितीय ‘संवाद शृंखला’ में बोले डॉ. ज्ञान जैन
- सृजन यात्रा में अब तक नहीं पाई संतुष्टि: अनुभूति की प्रथम 'संवाद शृंखला' में बोले प्रहलाद श्रीमाली
साहित्यिक आलेख
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं