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सृजन यात्रा में अब तक नहीं पाई संतुष्टि: अनुभूति की प्रथम 'संवाद शृंखला' में बोले प्रहलाद श्रीमाली

सृजन यात्रा में अब तक नहीं पाई संतुष्टि: प्रहलाद श्रीमाली

'मन से लेखक हूँ, व्यापारी नहीं’अनुभूति द्वारा आयोजित 'मेरी सृजन यात्रा' शृंखला के दौरान संवाद करते हुए देश के प्रतिष्ठित साहित्यकार प्रहलाद श्रीमाली जी ने यह बात कही। चेन्नई में जन्मे राजस्थानी मातृभाषी श्रीमाली जी आजीविका हेतु व्यवसाय करते हैं। अपनी सृजन यात्रा के शुभारंभ के बारे में आपने बताया कि सातवीं-आठवीं की पढ़ाई करते समय स्वर्गीय लक्ष्मीकांत सरस उनकी कविताओं को पढ़कर टिप्पणी देते थे। उस समय सरसजी श्री अग्रवाल सभा के पुस्तकालय मंत्री थे। उनकी प्रेरणा से आपने स्वाध्याय किया व प्रोत्साहन पाकर पत्रिकाओं में अपनी रचनाएँ भेजीं। किसी संपादक ने कहानी अस्वीकृत करते हुए कहानी लेखन के विषय सुझाते हुए अंतर्देशीय पत्र भेजा। इसे आपने चुनौती के रूप में लिया और बाद में आपने उन विषयों पर लेखन किया। आसपास के लोग आपकी कहानियों के किरदार होते हैं जैसे रेल यात्रा में हम सफ़र रहे पति-पत्नी और उनके बच्चों का परिवार 'छोटा सा सुख' और फिर बाद में 'मुन्ना रो रहा है' कहानी-पात्रों की संकल्पना बने। 'पापा मुस्कुराइए ना', 'अज्ञातवास में सिद्ध', ’मुन्ना रो रहा है’, ’मोती जैसी घुन’, ’आवल-कावल’ (राजस्थानी) आदि आपकी प्रकाशित पुस्तकें हैं। आपकी राजस्थानी कहानियों का हिंदी अनुवाद भी हुआ है। वर्ष 2002 एवं 2010 के 'आर्य स्मृति साहित्य सम्मान' से आप सम्मानित है। नवभारत टाइम्स में मनोहर श्याम जोशी के व्यंग्य टिप्पणी स्तंभ 'मेरा भारत महान' ने कई बार पुरस्कृत हुए आप। जनदर्शन संस्थान, भिलाई द्वारा 'उत्तरहीन' कहानी पर शिक्षणार्थ लघु वीडियो फ़िल्म बनाई गई एवं चेन्नई के स्वायत्तशासी महाविद्यालयों के पाठ्यक्रम में आपकी कहानी व उपन्यास पढ़ाए गए हैं। दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा से आप पर एम.फिल. शोध कार्य भी हो चुका है। 

सृजन यात्रा में अब तक नहीं पाई संतुष्टि, ऐसा मानने वाले श्रीमाली जी निरंतर सृजन में सक्रिय हैं। सूरज के ऊपर आपने क़रीब दो हज़ार मुक्तक रचे हैं। सूर्य नमस्कार की भाँति आपकी ये रचनाएँ सूरज दादा को समर्पित हैं। आपने बताया कि ये रचनाएँ सूर्य की तरह समाज को सकारात्मक ऊर्जा के प्रकाश से भरने के लिए रची गई हैं। गहरे भावों को रोचक ढंग से प्रस्तुत करना एवं भाषा शैलीगत शब्द-सामर्थ्य व सजीवता आपके लेखन की विशेषता है जो पाठकों को प्रभावित करती है। अध्यापक बनने के अधूरे सपने को आपकी बड़ी पुत्री श्रीमती मीना ने पूरा किया और लेखन में आपकी छोटी पुत्री डॉक्टर संध्या सक्रिय हैं। पुत्र श्री ललित कुमार एक सफल व्यवसायी हैं। आपकी धर्मपत्नी श्रीमती शारदा देवी एक कुशल गृहिणी हैं। 

इस अवसर पर आयोजित अनुभूति की मासिक काव्य गोष्ठी में दिलीप चंचल, आकांक्षा बरनवाल, केके कांकानी, रीना चौधरी, बी.एल. आच्छा, गोविंद मूंदडा, ज्ञान जैन एवं प्रहलाद श्रीमाली ने अपनी रचनाएँ प्रस्तुत कीं। 

अध्यक्ष श्री रमेश गुप्त नीरद ने स्वागत भाषण दिया एवं इस माह के विशेष कवि प्रहलाद श्रीमाली जी का सम्मान किया। 'मेरी सृजनयात्रा' शृंखला के प्रयोजन के बारे में आपने सविस्तार बताते हुए कहा कि इसका उद्देश्य अनुभूति के कवियों की सृजन यात्रा का परिचय पाकर उनकी सृजन प्रक्रिया के विशेष पहलुओं को जानना है जिससे नई पीढ़ी को प्रेरणा और मार्गदर्शन मिले। 

लीलावती मेघानी की प्रार्थना से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। महासचिव शोभा चौरडिया ने श्रीमाली जी का परिचय प्रस्तुत किया। सचिव डॉ. सुनीता जाजोदिया ने कार्यक्रम का संचालन किया एवं धन्यवाद ज्ञापन दिया। 

डॉ. सुनीता जाजोदिया
सचिव
अनुभूति, चेन्नई

अनुभूति ’संवाद शृंखला’ : प्रहलाद श्रीमाली

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