जीवन क्या है
काव्य साहित्य | कविता शक्ति सिंह15 Apr 2025 (अंक: 275, द्वितीय, 2025 में प्रकाशित)
जीवन क्या है?
जीवन हँसना और हँसाना है।
एक-दूसरे पर परोपकार करना है।
परपीड़ा का भाव मन में समझना है।
मानवता का भाव जीवित करना है।
स्वार्थ रहित मानवजन की सेवा है।
जीवन क्या है?
देश की मिट्टी की ख़ातिर मर मिटना है।
समाज हित अपना सर्वस्व त्याग है।
मातृ-पितृ की सेवा में समर्पण है।
ईश्वर की लीलाओं का गायन-वर्णन है।
सर्वधर्म समभाव व एकता का नाम है।
जीवन क्या है?
नैतिक मूल्यों का संचित प्रतिबिंब है।
समाज के तीव्र उत्थान का माध्यम है।
मृत होकर भी जीवित होने का साधन है।
अपार सुखों का अपरिमित भंडार है।
कुबेर के द्वार की असाधारण कुंजी है।
जीवन क्या है?
नेक कर्मों से लक्ष्य प्राप्ति की डोर है।
लिंग भेद न कर समानता की राह है।
सत्य, मित और प्रेम का प्रतिरूप है।
स्वार्थ, काम और लोभ का विनाशक है।
धूँ-धूँ जलती मानवता की अवरोधक है।
जीवन क्या है?
मानवेतर प्राणियों के प्रति कर्त्तव्य है।
हो सके, जिससे मानव जाति का उत्कर्ष,
सच्चे अर्थों में वही सफल जीवन है।
जीवन क्या है?
जीवन सत्कर्म है।
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