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काव्य साहित्य | कविता शशि पाधा30 Jun 2008
जब रिमझिम हो बरसात
और भीगें डाल और पात
जब तितली रंग ले अंग
और फूल खिलें सतरंग
जब कण -कण महके प्रीत
तब शब्द रचेंगे गीत
जब नभ पे हँसता चाँद
और तारे भरते माँग
जब पवन चले पुरवाई
हर दिशा सजे अरूणाई
जब मन छेड़े संगीत
तब शब्द लिखेंगे गीत
जब पँछी करें किलोल
लहरों में उठे हिलोल
जब धरती अम्बर झूमें
और भँवरे कलिका चूमें
जब बन्धन की हो रीत
तब शब्द बुनेंगे गीत
जब कोकिल मिश्री घोले
पपिहारा पिहु-पिहु बोले
कोई वासंती पाहुन आये
नयनों से नेह बरसाये
जब संग चले मनमीत
तब शब्द बनेंगे गीत
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