मेरे मन
काव्य साहित्य | कविता मनोज शर्मा15 Sep 2023 (अंक: 237, द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)
ऐ मेरे मन
कितने स्वच्छ
कितने निर्मल
कितने दुर्लभ
स्वच्छंद तुम
महीन कम्पन
तुम विलक्षण
कोमल तरुवर
मोहक से तुम
एक बार देखो
तुम मेरा मन
आओ क्षण भर
गहराई में डूब कर तुम
तभी एक समान होगा
तेरा मेरा मन
तेरा अनवरत
निज स्पंदन
सुनकर मीठा स्वर
तेरी साँदों का
कर्ण प्रिय लगा
ज्यों पल भर तुम संग हो
मेरे मन!
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