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कुरुक्षेत्र-भक्ति और विश्वास का अद्भुत संगम

कुरुक्षेत्र एक ऐसा तीर्थ स्थल है जहाँ आस्था एवम् भक्ति कण कण में विराजमान है। करनाल और चंडीगढ़ के मध्य स्थित कुरुक्षेत्र देव भूमि है विशेषतः पवित्र स्नान के लिए अति उत्तम है। अमावस्या आदि के रोज़ यहाँ प्रातःकाल श्रद्धालुओं का ताँता लगा होता है। यहाँ ब्रह्मसरोवर, ज्योतिसर, कृष्णा म्यूज़ियम के साथ साथ कल्पना चावला का विज्ञान स्मारक है; जो बेहद प्रसिद्ध है। दिल्ली से तक़रीबन 140 किलोमीटर की दूरी पर कुरुक्षेत्र में कभी कौरवों और पांडवों का लगातार अठारह रोज़ युद्ध हुआ था। महाभारत के युद्ध का कुरुक्षेत्र सदा से साक्षी रहा है। आज भी यहाँ असंख्य स्मृतियाँ हैं। 

निकट ही ज्योतिसर में प्रभु कृष्ण द्वारा गीता का संदेश दिया गया था। 

ब्रह्मसरोवर अत्यंत मनोरम दर्शनीय भक्ति स्थल है जहाँ दूर-दूर से लोग स्नान एवम् दर्शन हेतु सूर्य ग्रहण के दिन तड़के से ही उपस्थित होते हैं। ब्रह्मसरोवर में स्वच्छ, निर्मल जल हमेशा प्रवाहित रहता है जो अनेक रोगों के लिए औषिधि समान है इसी से यहाँ बारह महीने श्रद्धालुओं का जमावड़ा रहता है। यहाँ स्त्रियों आदि के लिए अलग-अलग स्नान घाटों की व्यवस्था है जो वृहद्‌, साफ़ व सुन्दर है। एक अनुमान के अनुसार यहाँ 300 से अधिक छोटे बड़े मन्दिर हैं। जहाँ भक्तजन मन्नत और दर्शन हेतु पहुँचते हैं। 

ब्रह्म सरोवर के निकट ही जाट, गुर्जर और अग्रवाल समुदायों की सुन्दर एवम् सस्ती धर्मशालाएँ हैं जहाँ तीर्थयात्री और पर्यटक किसी भो समय ठहर सकते हैं। सरोवर के निकट सुन्दर मनोरम दृश्य है जो फोटोग्राफी के लिए अनुपम है। सूर्यग्रहण की प्रातः बेला में जिज्ञासु वैज्ञानिक समूह दूर दूर से यहाँ रिसर्च हेतु आते हैं। साधु संत समाज यहाँ सदैव प्रभु की भक्ति में लीन दिखाई देता है। 

शेख़ चिल्ली का मक़बरा, हनुमान का प्राचीन पंचमुखी मंदिर, भद्रकाली मंदिर, ज्योतिसर घाट आदि दूसरे दर्शनीय स्थल है जहाँ श्रद्धालुओं और पर्यटकों का आना–जाना लगा रहता है। 

कुरुक्षेत्र में रेल व बस आदि के अलावा कार, जीप आदि निजी वाहनों के द्वारा आसानी से पहुँचा जा सकता है। कुरुक्षेत्र भक्ति और श्रद्धा का ऐसा केन्द्र है जिस में हर वर्ष कई हज़ार लोग श्रद्धा और विश्वास की डुबकी लगाते हैं। कुरुक्षेत्र में प्रेम, श्रद्धा और विश्वास का अद्भुत संयोग है जो वहाँ के कण-कण में विराजित है।

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