गणतंत्र दिवस
काव्य साहित्य | कविता भुवन चद्र उपाध्याय15 Feb 2020 (अंक: 150, द्वितीय, 2020 में प्रकाशित)
हे तिरंगे! शान से, आसमां लहरा रहा,
गर्व से भरा ये दिल, तुझे सलाम कर रहा
चौथी शक्ति विश्व की, सैन्य शक्ति हम,
वंदे मातरम - वंदे - वंदे मातरम॥
मिट गये निज देश हित, वीरों को नमन,
बुझे चिराग द्वार के, माँ बहिनों को नमन।
जीवन-मरण नया नहीं, प्राण रंजो-गम,
वंदे मातरम - वंदे - वंदे मातरम॥
ज्ञान ओ विज्ञान में, हे देश! तू आगे बढ़े,
विकास के तू राह पे, चाँद से आगे चले।
इस जहान में हैं हम, ना किसी से कम,
वंदे मातरम - वंदे - वंदे मातरम॥
अपना-पराया भाव छोड़, न्याय पर चलें
लड़खड़ाये ना क़दम, राह पर चलें।
हमसे देश साँस लेता, देश से ही हम,
वंदे मातरम - वंदे - वंदे मातरम॥
शत्रु हेतु काल यम, इंदिरा, अटल, लाल हम,
गुरु बटुक आज़ाद बोस, कलाम मोदी शाह हम।
दुश्मनों को रोक देंगे, सरहदों पे हम,
वंदे मातरम - वंदे - वंदे मातरम॥
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