काश वो एक शाम
काव्य साहित्य | कविता यकता1 Nov 2022 (अंक: 216, प्रथम, 2022 में प्रकाशित)
काश वो एक शाम, तुम्हें भी याद होती।
तो आज की शाम, मैं यूँ अकेली न होती॥
काशो वो एक शाम, तुम्हें भी याद होती।
तो आज की शाम, मैं यूँ बदनाम न होती॥
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