वो पहली लड़की
काव्य साहित्य | कविता संजय मृदुल15 Jun 2024 (अंक: 255, द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)
कौन थी वो लड़की
जो अंतरिक्ष में गई थी
कौन थी वो लड़की जिसने
एवरेस्ट किया था फ़तह
कौन थी वो लड़की जिसने
लाँघे थे सात समन्दर
कौन थी वो लड़की जिसकी
पहली किताब आई थी
कौन थी वो लड़की जिसने
स्कूल में की पढ़ाई थी
कौन थी वो लड़की जिसकी
पहली अख़बार में फोटो आई थी
कौन थी वो लड़की जिसने
पहले राग रागिनी गाई थी
कौन थी वो लड़की जिसने
नाच के दुनिया हिलाई थी
हर वो लड़की जिसने
तोड़े दुनिया के नियम
जिसने की नाफ़रमानी
जिसने पंख अपने फैलाए
तन कर खड़ी हुई जो
अपने लिए सबके सामने
उसके पंख दिखाई नहीं दिए
उसने भरी उड़ान ऊँची
और कर आई सैर
सातों असमान की
वो हर लड़की जिसके
पंख छुपे हुए हैं हाथों में
इल्तिजा है उन सभी से
उड़ जाएँ एक बार वो भी
देख आएँ वो अब
जो शेष रह गया है देखने को
छोड़ती जाएँ निशान
जहाँ भी होकर आएँ वो
इस दुनिया की हर ऊँचाई पर
हर लड़की का उतना ही हक़ है।
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
कहानी
लघुकथा
कविता
हास्य-व्यंग्य आलेख-कहानी
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं