संगीत से सजी महफ़िल
कथा साहित्य | लघुकथा संजय मृदुल1 May 2024 (अंक: 252, प्रथम, 2024 में प्रकाशित)
मंच सजा हुआ था। कलाकार अपनी अपनी जगह ले चुके थे। मुख्य कलाकार देश के जाने माने वादक थे जिनका नाम देश विदेश में सम्मान के साथ लिया जाता है। महिला उद्घोषक कार्यक्रम शुरू करने के पहले माइक पर संगीत और वाद्य की जानकारी देते हुए माहौल बना रही थी, तभी हॉल के दरवाज़े पर हलचल हुई। आयोजक समिति द्वारा आमंत्रित किए गए मुख्य अतिथि और अन्य अतिथियों का पदार्पण हुआ।
सभी ने प्रथम पंक्ति में अपनी जगह ली और उद्घोषक ने बात अधूरी छोड़ते हुए अतिथियों के स्वागत लिए कार्यकर्ताओं का नाम पुकारना शुरू कर दिया।
मंच पर बैठे मुख्य कलाकार की पेशानी पर एक लकीर खींच गई। कई लोगों के द्वारा स्वागत और माल्यार्पण के बाद सभी अतिथियों को एक एक कर मंच पर कलाकारों के स्वागत के लिए आमंत्रित किया जाने लगा। जबरन की मुस्कान ओढ़े अतिथियों ने कलाकारों का पुष्प गुच्छ से स्वागत किया। कलाकारों ने भी मशीनी भाव से सब स्वीकार किया।
तयशुदा समय से एक घंटे देर से कार्यक्रम शुरू हुआ। वाद्य यंत्रों को सुर में लाने के बाद मुख्य कलाकार ने घोषणा की कि चूँकि काफ़ी विलंब हो गया है इसलिए वे केवल एक घंटे की प्रस्तुति दे पाएँगे। रात की उनकी वापसी की ट्रेन का समय तय है।
संगीत प्रेमियों श्रोताओं के चेहरे पर हल्की सी उदासी तैर गई। आयोजक और मुख्य अतिथि पहली पंक्ति में सोफ़े पर अपनी बातचीत में व्यस्त थे। आयोजक को अतिथि से मिलने वाले सहयोग की चिंता थी तो मुख्य अतिथि को कल के अख़बार में अपनी बड़ी वाली तस्वीर की।
हॉल में संगीत की सुर लहरी तैर रही थी। हॉल के बाहर आयोजन से जुड़े कार्यकर्ता चर्चा कर रहे थे कि ख़त्म होते ही कलाकारों के साथ फोटो लेनी है।
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