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मदद की क़ीमत

 

चित्रा अपने माता-पिता के साथ पुलिस थाने में बैठी थी। सामने चार लड़के खड़े थे, जिनकी शक्ल बता रही थी कि न वो पढ़े-लिखे थे न ही अच्छे घरों से। सस्ते कपड़े, रंगीन चश्मा, फ़ैशनेबल बाल हेयर स्टाइल और एक ने उसके ऊपर खाकी शर्ट पहन रखी थी। वो लड़का अचानक याद आया अब चित्रा को। 

“ये तो वही ऑटो वाला है!” उसके मुँह से बेसाख़्ता निकला। 

“जी! यही है इस सारे फ़साद का मास्टरमाइंड,” सामने बैठे सब इंस्पेक्टर ने कहा। ”अब आप बताइये कि ये कहाँ और कैसे मिला था आपसे?”

चित्रा की आँखों के सामने वो शाम गुज़र गयी जब उसकी गाड़ी ऑफ़िस से छुट्टी के वक़्त स्टार्ट नहीं हुई। काफ़ी देर तक कोशिश करने के बाद, ऑफ़िस के गार्ड ने उससे कहा कि वो गाड़ी वहीं छोड़ जाए। और शो रूम में फोन कर दे ताकि वहाँ से आकर कोई गाड़ी ले जाये। 

इतनी सब मशक़्क़त कर के जब वो बाहर आई आठ बज चुके थे। आसपास का इलाक़ा सुनसान होने लगा था। उसे लगा अब घर जाने में परेशानी होगी। सामने चौराहे पर एक ऑटो दिखाई दिया तो उसे चैन की साँस आई। 

“भैया! किस तरफ़ जा रहे हैं?” ऑटो में बैठी तीन और सवारियों को देखकर उसने पूछा। 

ऑटो बस स्टैंड की तरफ़ जा रहा था। उसने सोचा वहाँ से दूसरा ऑटो लेकर घर चली जायेगी। 

पीछे तीन महिलाएँ बैठी थी जो मज़दूर लग रहीं थीं। उनकी गोद में थैले रखे हुए थे। दिन भर की हाड़तोड़ मेहनत के बाद की थकान उनके चेहरे पर बिखरी हुई थी। जाने क्यों चित्रा का मन उनके साथ बैठने को नहीं हुआ। 

वो सामने ऑटो वाले के बाज़ू में बैठ गयी। रास्ते में पड़ते ब्रेकरों और गड्ढों में ख़ुद को ड्राइवर से टकराने से बचाती वो बड़ी असुविधा महसूस कर रही थी। बस स्टैंड आने को कुछ दूर बचा था कि ऑटो वाले ने कहा, “मैडम अपना फोन देंगी क्या, एक ज़रूरी कॉल करना है। बस स्टैंड के पास पुलिस की चैकिंग होती रहती है। एक फ़्रेंड को कॉल करके पूछ लेता हूँ। नहीं तो ज़बरदस्ती पैसे देने पड़ जाएँगे। वैसे भी आज धंधा हुआ नहीं है ज्यादा।”

“क्यों, तुम्हारे पास नहीं है फोन?” उसने टरकाने की कोशिश की। 

“बन्द हो गया है मैडम जी। चार्ज करने का समय नहीं मिला,” उसने जेब से अपना फोन निकाल कर दिखाया। 

“मैडम जी प्लीज़!” उसने जैसे याचना की। ”जितना कमाया है सब चला जायेगा अगर पुलिस के चक्कर में पड़ा तो। ये मेरा रूट भी नहीं है। मैं तो बस चार पैसे कमाने के फेर में इधर आ गया हूँ।”

चित्रा को लगा बेवजह बेचारा मुश्किल में न पड़ जाए, सोचकर उसने फोन दे दिया। एक नम्बर पर उसने कॉल किया, पुलिस वालों के बारे में पूछा और फोन वापस करने के पहले जल्दी से उसने वो नम्बर डिलीट कर दिया। चित्रा का ध्यान इस बात पर नहीं गया। उसने फोन लेकर पर्स में रख दिया। 

दो-तीन दिन बाद दोपहर में जब वो काम में व्यस्त थी फोन की घण्टी बजी। अनजान नम्बर देख कर उसने अनदेखा कर दिया। और काम में व्यस्त हो गयी। 

शाम ऑफ़िस छूटने के बाद जब उसने फोन का नेट ऑन किया तो देखा दो-तीन अनजान नम्बरों से वाट्सएप पर मैसेज आये हुए थे। चित्रा को हैरानी हुई, उसका फोन नम्बर केवल ऑफ़िस के साथियों और क़रीबी लोगों के पास ही था। ख़रीदारी के समय भी वो मॉल या स्टोर में अपना नम्बर नहीं देती थी। किस तरह इन जगहों से सबके मोबाइल नम्बर कॉल सेंटरों तक पहुँच जाते हैं ये जानती है वो। 

हिचकते हुए उसने एक मैसेज को खोला उसमें कुछ फोटोज़ थे। उसे समझ नहीं आया। उत्सुकता वश उसने जैसे ही उन फोटोज को खोला, ढेर सारे अश्लील चित्र स्क्रीन पर बिखर गए। 

हतप्रभ चित्रा को कुछ समझ नहीं आया। उसने दूसरे नम्बर पर क्लिक किया तो वहाँ भी ऐसा ही कुछ था। तीसरे नम्बर पर अश्लील चुटकुलों वाले मैसेज आये थे। 

चित्रा का सर घूम गया। डर के मारे उसने सारे मैसेज डिलीट किए और माथे पर बिखरा पसीना पोंछा। 

रात भर उसे नींद नहीं आई। आँखों में वही सब घूमता रहा। ऑफ़िस में भी उसका मन काम में नहीं लग रहा था। उसने फोन पर्स से निकाला ही नहीं। एक अनजाना सा भय दिल में उमड़ता रहा। 

लंच में कैंटीन में बैठकर उसने फोन खोला तो फिर उन्हीं अनजान नम्बरों के मैसेज वाट्सप पर दिखाई दिए। उसने बिना खोले उन्हें डिलीट किया और फोन वापस रख दिया। 

घर जाने के लिए जैसे ही उसने कार स्टार्ट की, फोन की घण्टी बजी, उसने देखा एक अनजान नम्बर से कॉल था। उसे लगा कि वही नम्बर तो नहीं, जिससे मैसेज आ रहा। फिर हिचकते हुए उसने फोन कॉल लिया। 

“हैलो मेरी जान! कैसी हो?” इतना सुनकर उसने फोन काट दिया और उस नम्बर को ब्लॉक लिस्ट में डाल दिया। 

उसकी समझ नहीं आ रहा था कि कौन था वो और क्यों उसके पीछे पड़ा था। डरते-डरते सारा रास्ता तय किया चित्रा ने। हालाँकि सारा रास्ता भीड़-भाड़ वाला था फिर भी उसे लगता रहा कि अचानक कोई बग़ल से निकल कर उसे डरा देगा। 

तीन-चार दिन इसी तरह बीते। उनकी हिम्मत बढ़ती जा रही थी। दिन भर में कई मिस कॉल होते उन नम्बरों से। वाट्सप पर गंदे वीडियो और वॉइस मैसेज भरे होते। वो नम्बर ब्लॉक करती तो नए नम्बरों से मैसेज और काल आने लगे। 

चित्रा को सूझ नहीं रहा था कि क्या करे। घर वालों को भी उसमें आ रहा बदलाव नज़र आ रहा था। एक रात आख़िर पापा जी ने पूछ ही लिया। डरते हुए चित्रा ने सब बताया। उसे लग रहा था कि माँ और पापा उस पर नाराज़ होंगे कि इतनी पढ़ी-लिखी होकर भी ऐसी बेवुक़ूफ़ी वाली हरकत उसने की कैसे? किसे अपना नम्बर दे आई। 

पापाजी ने उसे कहा कि वो अब कोई मैसेज डिलीट न करे, और न किसी नम्बर को ब्लॉक करे। कल सुबह पोलिस स्टेशन चल कर रिपोर्ट लिखवाते हैं। 

सुबह-सुबह उसकी नींद भी नहीं खुली थीं कि फोन की घण्टी बजी। अधखुली आँखों से उसने देखा तो उसकी फ़्रेंड का कॉल था। जैसे ही उसने हैलो कहा, सामने से आवाज़ आई, “चित्रा! अपना फ़ेसबुक देख, कैसी-कैसी फोटो पोस्ट की है तूने यार?” 

“मैंने? मैंने तो कुछ पोस्ट नहीं किया,” उसने जवाब दिया। 

“अरे देख पहले। और सब डिलीट कर जल्दी,” इतना कह कर उसने फोन काट दिया। 

चित्रा ने पेज खोला तो उसमें कई फोटो पोस्ट की हुई थी जिसमें चेहरा तो चित्रा का था पर शरीर किसी और का। अर्धनग्न चित्रों पर अश्लील कमेंट्स की बाढ़ आई हुई थी। हाथ पैर फूल गए चित्रा के। उसकी समझ में आ गया कि उसका अकाउंट हैक हो गया है। अगर वो सब फोटोज़ डिलीट भी करेगी तो फिर ऐसी और पोस्ट कर दी जाएँगी। उसने उसने पापा को जाकर ये बात बताई। 

पोलिस चौकी में जो सर्किल इंस्पेक्टर थे उन्होंने चित्रा को एक महिला अधिकारी के हवाले किया। उसने धीरज के साथ चित्रा की सारी बातें सुनी, उसका मोबाइल चेक किया। उन नम्बरों को ब्लॉक लिस्ट से निकालकर देखा, फिर चित्रा की रिपोर्ट दर्ज की। उन्होंने चित्रा को उसकी हिम्मत के लिए दाद दी कि अक़्सर इस तरह के केस में लड़कियाँ घर वालों से डरकर कुछ नहीं कहती बल्कि उन अपराधियों के हाथों का खिलौना बन जाती हैं। एक बार आपने उनसे बात की या मैसेज का रिप्लाय किया और फिर वो घेरने लगते हैं, ब्लैकमेल के भँवर में फँस कर लड़कियाँ पैसे लुटा बैठती हैं या अस्मत। और कभी कभी जान भी दे देती हैं। 

“चित्रा! ये मामला हालाँकि आसान नहीं है, फिर भी हम पूरी कोशिश करेंगे कि इन अपराधियों को जल्द पकड़ लें। तुम अपना मोबाइल फोन यहाँ छोड़ जाओ ताकि उनके मैसेज और काल हम साइबर सेल के माध्यम से ट्रेस कर सकें।” उस महिला अधिकारी ने दिलासा देते हुए कहा। चित्रा के चेहरे पर राहत की छाँव आई। अधिकारी ने पूछा, “तुम्हें ऐसा कुछ याद है जहाँ तुमने किसी भी कारण अपना मोबाइल नम्बर किसी को दिया हो? कोई स्टोर, कोई शॉप, या किसी फार्म में।”

“नहीं मैडम। ऐसा तो कुछ नहीं हुआ पिछले दिनों। मैं बहुत सावधानी रखती हूँ इन सब बातों में। मुझे समझ नहीं आ रहा कि मेरा नम्बर इस तरह कैसे इन बदमाशों के पास पहुँच गया,” चित्रा ने सोचकर जवाब दिया। 

“चलो कोई बात नहीं। हमारा साईबर सेल इन्हीं कामों के लिए तो है। ढूँढ़ निकालेंगे जहाँ होंगे ये शोहदे। तुम घर जाओ चिंतामुक्त होकर,” उस अधिकारी ने सांत्वना देते हुए कहा। कई दिनों बाद चित्रा सुकून की नींद सो पाई। मोबाइल फोन की घण्टी बज उठेगी या फिर कोई नोटिफ़िकेशन उसकी नींद उड़ा देगा इस फ़िक्र से बेख़बर। 

आज जब वो ऑफ़िस में थी वहाँ के फोन में उसके लिए कॉल आया। पोलिस थाने से किसी की आवाज़ थी, “मैडम! आपको अभी साहब ने बुलाया है, आपको तंग करने वाले पकड़े गए हैं।”

चित्रा ने तत्काल पापाजी को काल किया और सीधे थाने पहुँच गई। विषय की गम्भीरता को देखते हुए उसके बॉस ने कहा कि वो भी साथ चलते हैं। 

थाने में चारों लड़के उकड़ूँ बैठे हुए थे, लग रहा था कि उनकी अच्छे-से सेवा हुई है। इंस्पेक्टर ने बताया कि साइबर सेल ने आपके मोबाइल पर आए मैसेज और कॉल की डिटेल चेक की तो इनका पता चला। इनमें से एक लड़का कम्प्यूटर का काम जानता है वो ही पीड़ित लड़कियों की सोशल मीडिया प्रोफ़ाइल को हैक कर गंदे फोटो पोस्ट करता है। बाक़ी लोग मैसेज और कॉल के ज़रिये लड़की को परेशान करते हैं। अधिकांश लड़कियाँ बदनामी से डर कर इनके सामने समर्पण कर देती हैं बदले में ये उनसे पैसे ऐंठते हैं और मौक़ा मिल जाये तो उसे अपनी हवस का शिकार बना कर फोटो खींच कर ब्लैकमेल करते हैं। हर शिकार के बाद ये अपना फोन और सिम नष्ट कर देते हैं ताकि सबूत न रहे। इस बार ये चूक कर गए इन्हें लगा कि तुम पढ़ी-लिखी हो, आसानी से नहीं फँसोगी, इसलिए ये लगातार प्रयास कर रहे थे कि तुम पर दबाव बने। तुम्हारी हिम्मत ने आज इन्हें यहाँ तक पहुँचाया है। तुम जैसे हर लड़की हिम्मत करे तो ऐसे लोग कभी सफल ही न हों,” इंस्पेक्टर ने चित्रा की तारीफ़ करते हुए कहा। 

चित्रा की आँखों में घृणा भरी हुई थी, “तुम जैसे लोगों को कुछ कहने का तो फ़ायदा नहीं है, इसलिए अब कोर्ट में ही मिलेंगे। मैं एक क़दम भी पीछे नहीं हटूँगी,” चित्रा ने दृढ़ आवाज़ में कहा।

चित्रा के माता-पिता सोच रहे थे कि काश हर लड़की में इतनी हिम्मत हो तो किसी की मजाल नहीं कि उसे परेशान कर सके।

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