रावण दहन की शंका
काव्य साहित्य | कविता ललिता श्रीवास्तव15 Nov 2021 (अंक: 193, द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)
रावण ने क़ुसूर तो बहुत बड़ा किया था
उसने सीता का हरण जो किया था
ठीक ही है जो उसे दण्ड हर साल मिलता है
मैदानों में उसका पुतला हर साल जलता है
कौन उल्लसित नहीं होता उसके नाश पर
पर एक प्रश्न है आपके लिए ख़ास कर
दुनिया में अपराध क्यों बढ़ रहा है
दुराचारी का सम्मान क्यों हो रहा है
क्यों साहस नहीं है इन्हें टोकने का
दम-ख़म नहीं है इन्हें रोकने का
क्यों इनको न सूली चढ़ाता है कोई
क्यों इनका दहन न कराता है कोई
जब तक न इस सच का आभास होगा
पुतले जलेंगे पर अपराध होगा
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
कविता
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं