खाट के सेरे पर गौरैया
काव्य साहित्य | कविता सुनील चौधरी1 Oct 2020 (अंक: 166, प्रथम, 2020 में प्रकाशित)
वे सेरे और पाटी की मज़बूती जानते हैं
वे अतरमायनों1 का प्रयोग भी जानते हैं
वे जानते हैं कैसे खाट को बुना और उधेड़ा जाता है
पायों को समतल करना, वे जानते हैं
वे जानते हैं खाट के सेरे पर बैठी गौरैया का पता
तुम उन्हें कुछ न बताओ
वे खाट को उधेड़ कर
जेबरा2 बटने के बारे में सोच रहे हैं।
(दोनों ही शब्द ब्रजभाषा के हैं । इन शब्दों का प्रयोग ग्रामीण अंचल में किया जाता है।
1. अतरमायनों का प्रयोग खाट के बुन लेने के उपरांत खाट को ढीली व टाइट करने के लिए किया जाता है।
2. जेबरा - मोटे रस्से को कहते हैं जिसका प्रयोग पेड़ पर झूला डालने व बोरियों को बाँध कर ले जाने के लिए किया जाता है।)
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