मेरी शैली
काव्य साहित्य | कविता सूरज दास15 May 2022 (अंक: 205, द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)
आज मन चाहा कि तुम
पर एक कविता लिखूँ।
पर पता है तुम्हें, तुम तो
स्वयं में एक कविता हो।
जिसे पढ़ने और समझने
के लिए शब्दों कि नहीं,
हृदय की ज़रूरत है।
और मैं तुम्हें लिख सकूँ
इसमें मेरी नहीं, मेरी
शैली की ज़रूरत है।
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