उसका क्या
काव्य साहित्य | कविता अमिताभ वर्मा15 Jul 2025 (अंक: 281, द्वितीय, 2025 में प्रकाशित)
दिल है रंजीदा, तो होने दो, उसका क्या!
घर है वीरान, तो होने दो, उसका क्या!
वादा करके भी तुम नहीं आते
हमने जो आस लगाई, उसका क्या?
सबकी दुनिया है अलग, जाने दो, उसका क्या!
सबका है दर्द अलग, होने दो, उसका क्या!
तुम तो कोई ग़ैर न थे, अपने थे
अब जो बेपरवा हुए, उसका क्या?
जान जानी है तो जाएगी, उसका क्या!
मौत आनी है तो आएगी, उसका क्या!
सबने छोड़ा, अब तुम भी चले जाते हो
तुम्हारी याद जो आएगी, उसका क्या?
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