कुम्भ के हाइकु
काव्य साहित्य | कविता रमेश कुमार सोनी1 Mar 2025 (अंक: 272, प्रथम, 2025 में प्रकाशित)
1.
कुम्भ की भीड़
मैं गुम जाना चाहूँ
कोई खोजेगा।
2.
गंगा नहाने
भगीरथ सा तप
किसके लिए।
3.
त्रिवेणी स्नान
पाप धुल जाएगा
फिर करेगा!
4.
अमृत बूँद
सब तलाश रहे
धोखे में हैं जी।
5.
पुण्य मिलेगा
कुम्भ स्नान कीजिए
वहाँ दिखेगा।
6.
सारे अखाड़े
संगम-स्नान चाहें
प्रतीक्षा बड़ी।
7.
तंत्र का मंत्र
तपस्या में साधते
नागा, अघोरी।
8.
कुम्भ का मेला
धर्म संसद होता
ज्ञान बहता।
9.
मेले की भीड़
क्या अमीर, ग़रीब
घाट एक है।
10.
कुम्भ बटोरे
अन्न, मुद्रा, दुआएँ
दान में पाते।
11.
तीर्थ की बातें
विज्ञान ख़ामोश है
गूढ़ है ज्ञान।
12.
तंत्र डटा है
आस्था सजीव रहे
भक्ति का मार्ग।
13.
गंगा बुलाती
सैलाब कुम्भ का है
मोक्षदायिनी।
14.
उमड़ी भीड़
देखादेखी दौड़ते
कुम्भ-नहाना।
15.
ख़बरें गर्म
भीड़, बाबा, ग्लैमर
कुम्भ गुम है!
16.
कुम्भ बुलाए
भाग्य जिनके अच्छे
कल्पवास को।
17.
कुम्भ पताका
सत्संग का शिविर
ज्ञान बँटता।
18.
तीर्थ का जल
घर-घर पहुँचा
कुम्भ-बहाने।
19.
एका का रंग
कुम्भ दिखाके माना
श्रेष्ठ भारत।
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