रमेश कुमार सोनी–हाइकु–001
काव्य साहित्य | कविता - हाइकु रमेश कुमार सोनी15 Mar 2025 (अंक: 273, द्वितीय, 2025 में प्रकाशित)
1.
दिल परिंदा
फँसे, फड़फड़ाए
नैनों की जाल।
2.
रोता है कोई
आँसू कहीं टपके
प्यार के क़स्बे।
3.
प्रेम की छाँव
मिले तो दौड़े पाँव
गीत के गाँव।
4.
नज़र लगी
आँखों से आँखों को
कैसे बचाते।
5.
उनकी चिट्ठी
अर्थ कई निकले
प्रेम जो बाँचे।
6.
बातें बताई
बातों से बातें बनी
प्रेम की बातें।
7.
प्रेम का रंग
रंग-रंग में रंग
हमसा रंग।
8.
तन इधर
मन है उस छोर
प्रेम की डोर।
9.
नहीं है, वो है
जो है, वो भी नहीं है
प्यार ही तो है।
10.
मन की बातें
मेहँदी बन रची
प्रीत महकी।
11.
दिल जो गुमा
दिल के पास मिला
प्यार सहेजे।
12.
नून बहुत
इशारों की भाषा में
बूझे-इश्क़िया।
13.
प्रेम की गली
दिल वाला ही गया
‘अबूझमाड़’।
14.
दिल का हाट
कभी देखा ही नहीं
प्यार का ठाट।
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