अनामिका
काव्य साहित्य | कविता अनिकेत तोमर15 Jun 2024 (अंक: 255, द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)
नींदें नहीं होतीं पूरी ख़्वाब बिन तेरे
जिस दिन तुझे भूलना होगा कैसा होगा
हर पल साथ रहती हो मेरे तुम
वो पल कैसे जीना होगा
जिसमें साथ तेरा न होगा
मैं इंतज़ार में हूँ बैठा हूँ
तुझे दुलहन बनाने के
तुझे किसी और का होते देखना कैसा होगा
एक बार मुझे पाने की चाह रख तू
कोई न दिखेगा तुझे जो मेरे जैसा होगा
और अनामिका रही ख़ाली तो ख़ाली ही रहेगी
तेरे सिवा देखूँ किसी और को अपना होते
ये तुझ से हो जाए मगर मुझसे न होगा
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