आत्मविश्वास के झोले
काव्य साहित्य | कविता ममता मालवीय 'अनामिका'15 Nov 2021 (अंक: 193, द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)
हाथ भले ही ख़ाली हो,
मगर आत्मविश्वास के झोले
तुम सदैव लबरेज़ रखना।
रखना एक छोटी सी
मुस्कुराहट को अपने
बाएँ जेब की सिलवट में,
तुम परेशानियों में
ज़रा थोड़ा सा
सब्र रखना।
ख़्वाहिश गर फूलों की है तुम्हारी,
तो काँटों से भी ज़रा
थोड़ी सी दोस्ती रखना।
रखना हर रोज़ एक क़दम तुम आगे,
अपने पिछले क़दम का सबक़
तुम याद रखना।
मंज़िल चाहे वही पुरानी है,
लेकिन सफ़र हर रोज़ तुम
नये जारी रखना।
चाहते हो गर उड़ना आसमाँ में,
तो डोर अपनी सदैव
ज़मीं पर बाँधे रखना।
रखना अपनों का मान, तुम हरदम
अपने अहंकार का सिर
सदैव नीचे झुकाए रखना।
जीवन में ग़मों की वज़ह हज़ार हैं लेकिन,
मुस्कुराने की वज़ह तुम ख़ुद हो,
ये बात सदैव याद रखना।
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