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शुक्रिया और अलविदा 2022

नया साल जहाँ उम्मीद की नई किरण लेकर आता हैं; तो वहीं बीता साल एक टोकरी भर सबक़, हाथों में थमा कर चला जाता है। वक़्त के साथ न जानें कितने रिश्ते, ख़्वाहिशें और उलझनों से हम आज़ाद हो जाते हैं, तो वहीं आने वाले वक़्त में न जानें कितने रिश्ते, उम्मीदें और ख़ुशियाँ हमारी बाट जोहते हुए, हाथों में फुलझड़ी लिए खड़े रहते हैं। 

बीते 2022 से हम सभी ने बहुत कुछ सीखा हैं, मगर मैं अपनी बात कहूँ, तो मेरे जीवन में ये साल एक नई छाप छोड़ कर गया। कभी बिन माँगे बहुत कुछ मिल गया, तो कभी मन्नतों से माँगा हुआ भी पीछे छूट गया। 

“मनुष्य का स्वभाव है; वो खोई हुई वस्तु की गिनती, सदैव हासिल की गई वस्तु से पहले करता है।”

कितनी उम्मीदों और उत्साह के साथ हम नए साल की शुरूआत करते हैं। कुछ सपने, कुछ लक्ष्यों को अपने दिल और दिमाग़ में बिठा कर पूरे जोश से आगे बढ़ते हैं। मगर कई बार हम अपनी प्राथमिकता से ही भटक जाते हैं। हम यही भूल जाते हैं; कि हमारे जीवन का असल उद्देश्य क्या हैं? मगर विपदा उसी प्राथमिकता की पहचान कराने वाली एक सीढ़ी हैं। 

हालाँकि इस साल कई विपदाएँ मेरे मार्ग में आईं, मगर 2022 का सबसे बड़ा सबक़ मेरे लिए यही रहा; कि इसने मुझे, मेरी प्राथमिकता से रूबरू करवाया। इस साल से मुझे सिखाया, कि “कुछ ख़्वाहिशों और क़िस्सों के पीछे छूट जाने से जिदंगी नहीं रुकती, ना ही उसे जीने की चाहत मरती हैं। मगर यदि हम अपने जीवन के मूल उद्देश्य से भटक जाएँ, अपने जीवन की असल नींव को हम खो दें, तो यक़ीनन हमारे जीवन का अर्थ, व्यर्थ हो जाएगा।”

इस साल ने सिखाया कि संतानों के जीवन में माता-पिता कितने ज़रूरी और मज़बूत स्तंभ होते हैं, यदि इस स्तंभ में दरार पड़ी, तो कुछ ही क्षण लगते हैं संतान के जीवन को धराशाह होने में। क्योंकि कहते हैं ना “दुनियाँ भर की उपलब्धि व्यर्थ हैं, यदि माता-पिता साथ ना हों।”

जीवन के इन महत्त्वपूर्ण अध्याय को सीखने के लिए, मुझे कल से ज़्यादा आज और ख़ुद से बेहतर बनाने के लिए शुक्रिया और अलविदा 2022 . . .

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