शुक्रिया और अलविदा 2022
आलेख | चिन्तन ममता मालवीय 'अनामिका'1 Jan 2023 (अंक: 220, प्रथम, 2023 में प्रकाशित)
नया साल जहाँ उम्मीद की नई किरण लेकर आता हैं; तो वहीं बीता साल एक टोकरी भर सबक़, हाथों में थमा कर चला जाता है। वक़्त के साथ न जानें कितने रिश्ते, ख़्वाहिशें और उलझनों से हम आज़ाद हो जाते हैं, तो वहीं आने वाले वक़्त में न जानें कितने रिश्ते, उम्मीदें और ख़ुशियाँ हमारी बाट जोहते हुए, हाथों में फुलझड़ी लिए खड़े रहते हैं।
बीते 2022 से हम सभी ने बहुत कुछ सीखा हैं, मगर मैं अपनी बात कहूँ, तो मेरे जीवन में ये साल एक नई छाप छोड़ कर गया। कभी बिन माँगे बहुत कुछ मिल गया, तो कभी मन्नतों से माँगा हुआ भी पीछे छूट गया।
“मनुष्य का स्वभाव है; वो खोई हुई वस्तु की गिनती, सदैव हासिल की गई वस्तु से पहले करता है।”
कितनी उम्मीदों और उत्साह के साथ हम नए साल की शुरूआत करते हैं। कुछ सपने, कुछ लक्ष्यों को अपने दिल और दिमाग़ में बिठा कर पूरे जोश से आगे बढ़ते हैं। मगर कई बार हम अपनी प्राथमिकता से ही भटक जाते हैं। हम यही भूल जाते हैं; कि हमारे जीवन का असल उद्देश्य क्या हैं? मगर विपदा उसी प्राथमिकता की पहचान कराने वाली एक सीढ़ी हैं।
हालाँकि इस साल कई विपदाएँ मेरे मार्ग में आईं, मगर 2022 का सबसे बड़ा सबक़ मेरे लिए यही रहा; कि इसने मुझे, मेरी प्राथमिकता से रूबरू करवाया। इस साल से मुझे सिखाया, कि “कुछ ख़्वाहिशों और क़िस्सों के पीछे छूट जाने से जिदंगी नहीं रुकती, ना ही उसे जीने की चाहत मरती हैं। मगर यदि हम अपने जीवन के मूल उद्देश्य से भटक जाएँ, अपने जीवन की असल नींव को हम खो दें, तो यक़ीनन हमारे जीवन का अर्थ, व्यर्थ हो जाएगा।”
इस साल ने सिखाया कि संतानों के जीवन में माता-पिता कितने ज़रूरी और मज़बूत स्तंभ होते हैं, यदि इस स्तंभ में दरार पड़ी, तो कुछ ही क्षण लगते हैं संतान के जीवन को धराशाह होने में। क्योंकि कहते हैं ना “दुनियाँ भर की उपलब्धि व्यर्थ हैं, यदि माता-पिता साथ ना हों।”
जीवन के इन महत्त्वपूर्ण अध्याय को सीखने के लिए, मुझे कल से ज़्यादा आज और ख़ुद से बेहतर बनाने के लिए शुक्रिया और अलविदा 2022 . . .
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
25 वर्ष के अंतराल में एक और परिवर्तन
चिन्तन | मधु शर्मादोस्तो, जो बात मैं यहाँ कहने का प्रयास करने…
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
कविता
- आँचल
- आत्मविश्वास के झोले
- एक नई सोच
- एक ज़माना था
- कर्तव्य पथ
- गुमराह तो वो है
- चेहरा मेरा जला दिया
- जिस दिशा में नफ़रत थी
- जीवन पाठ
- डर का साया
- मंज़िल एक भ्रम है
- मंज़िल चाहें कुछ भी हो
- मदद का भाव
- माहवारी
- मुश्किल की घड़ी
- मेरे पिया
- मैं ढूँढ़ रही हूँ
- मैं महकती हुई मिट्टी हूँ
- मैंने देखा है
- विजय
- वक़्त की पराकाष्ठा
- संघर्ष अभी जारी है
- संघर्ष और कामयाबी
- समस्या से घबरा नहीं
- सयानी
- क़िस्मत (ममता मालवीय)
- ज़िंदगी
स्मृति लेख
चिन्तन
कहानी
ललित निबन्ध
लघुकथा
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं