संघर्ष और कामयाबी
काव्य साहित्य | कविता ममता मालवीय 'अनामिका'15 Jul 2023 (अंक: 233, द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)
जब तुम अथाह दुर्गम पथ को पार कर,
नभ से गिरोगे।
कल-कल की गगनचुंबी राग में,
जब अपनी पीड़ा कहोगे।
पाओगे जब तुम,
सूखे, बंजर, भूखंड के किसी भाग को।
असल में तब ही तुम,
अपने सर्वस्व अस्तित्व से मिलोगे।
नीर बन पूजे जाओगे,
तब तुम हर नर-नारी से।
हर धारा को ख़ुद में समाहित कर,
जब तुम एक पूर्ण सलिला बनोगे।
अंततः पाओगे जब तुम,
प्रत्यक्ष अपने सम्पूर्ण संघर्ष की कहानी।
तब बिना रुख़्सार पर रंग लगाए,
तुम अपनी कामयाबी से महकोगे।
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